जय माता दी : नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की होती है पूजा…जानिए किन मंत्रों से करें मां कुष्मांडा की आराधना?
आरती कुमारी
हिंदुओं के लिए नवरात्र के पर्व का बहुत महत्व होता है. शक्ति उपासना के पर्व नवरात्र में मंदिरों में खास साज सज्जा होती है. बंगाल में दुर्गा पूजा बड़े ही ख़ास अंदाज में मनाई जाती है. नवरात्र में 9 दिनों तक देवी दुर्गा के अलग अलग स्वरूपों की पूजा पाठ किया जाता है.
आज नवरात्र का चौथा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति के नाम से भी जाना जाता है. आइए जानते हैं कि किन मंत्रों से करें मां कुष्मांडा की आराधना?
नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है. इनकी आठ भुजाएं हैं और ये सिंह पर सवार हैं। हाथों में चक्र, गदा, धनुष, कमण्डल, कलश, बाण और कमल है।
मां कुष्मांडा की कथा
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय चारों तरफ अंधकार था, तब देवी के इस स्वरूप द्वारा ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ।
देवी कूष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं इसलिए इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। ये भक्तों के कष्ट रोग, शोक संतापों का नाश करती हैं।
इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां शेर की सवारी करती हैं।
देवी कूष्मांडा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
मां कुष्मांडा का शुभ रंग-
मान्यता है कि मां कूष्मांडा को हरा रंग बहुत प्रिय है। चौथे दिन हरा रंग पहनना शुभ माना जाता है।
मां कूष्मांडा का भोग-
मां कूष्मांडा को भोग में मालपुआ चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस भोग को चढ़ाने से मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर आशीर्वाद बनाए रखती हैं।