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जी 20 समिट में भारत को सफलता मिली भारी…सर्वसहमति से नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी…जाने किन मुद्दों पर हुई ख़ास तैयारी ?
जी 20 सम्मेलन में भारत को शानदार कूटनीतिक सफलता मिली है. पीएम मोदी ने समिट के पहले दिन ही नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी कर दिया. इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सहमति नहीं बन पा रही थी लेकिन फिर बिना किसी देश का नाम लिए कहा गया कि आज का युग युद्ध का नहीं है. सभी देशों को शांति के लिए सहयोग करना चाहिए. 37 पेज के घोषणा पत्र में 9 बार आतंकवाद का जिक्र हुआ. आइए जानते हैं क्या हैं घोषणा पत्र की मुख्य बातें?
नई दिल्ली. जी 20 समिट अब दरअसल जी 21 सम्मेलन के नाम से जाना जाएगा क्योंकि अफ्रीकन यूनियन के स्थाई सदस्य के रुप में शामिल होने के बाद अब इसमें कुल 21 सदस्य हो गए हैं. सभी सदस्य देशों ने साझा घोषणा पत्र पर सहमति जताई जिसके बाद नई दिल्ली घोषणा पत्र पहले दिन ही जारी हो गया.
पीएम मोदी ने किया एलान
जी 20 का भारत अध्यक्ष है. इस नाते सभी सदस्य नेताओं के शिखर सम्मेलन घोषणा पर आम सहमति बनाने की बड़ी जिम्मेदारी पीएम मोदी पर थी. जब पीएम के प्रस्ताव का उपस्थित नेताओं ने सर्वसम्मति से समर्थन किया, जिसके बाद पीएम मोदी ने नई दिल्ली घोषणा पत्र अपनाने का एलान किया.
नई दिल्ली घोषणा पत्र के प्रमुख बिंदु
- G-20 शेरपा अमिताभ कांत ने ‘नई दिल्ली घोषणा पत्र’ के प्रमुख बिंदुओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि एक इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाने पर सहमति बनी है.
- सभी देशों ने आतंकवाद की एक सुर में आलोचना की. किसी भी तरह के आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आतंकवाद को पोषित और पल्लवित करने वाले देशों को अलग-थलग किया जाएगी
- इसके अलावा इसमें रुस-यूक्रेन युद्ध के बारे में सीधे सीधे तो जिक्र नहीं है लेकिन व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए सदस्य देशों ने सहमति व्यक्त किया.
- चीन का नाम लिए बिना उसकी विस्तारवादी नीतिओं की आलोचना की गई. G-20 के सदस्य देशों से ‘इलाकों पर कब्जा करने के लिए ताकत के इस्तेमाल’ या किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ कार्य करने वालों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।
- घोषणापत्र में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि किसी भी देश के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग करना या या उपयोग करने की धमकी देना किसी भी कीमत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
- क्रिप्टोकरेंसी पर एक ग्लोबल पॉलिसी बनेगी. वन फ्युटर अलायंस बनाया जाएगा. ग्रीन और लो कॉर्बन टेक्नोलॉजी पर सभी सदस्य देश काम करेंगे ताकि ग्लोबल वॉर्मिंग और कार्बन उत्सर्जन की दिशा में कुछ ठोस कार्य हो सके.
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