Birthday Special: प्रेम चोपड़ा ने 380 फिल्मों में किया काम, विलेन बनकर कुछ ऐसे कमाया नाम
दीपा मिश्रा
सिनेमा जगत के मशहूर कलाकार “प्रेम चोपड़ा” जो की हिंदी फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनेय के लिए जाने जाते है। वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इन्होंने अभी तक लगभग 380 फिल्मों में काम किया है.
अपनी शानदार एक्टिंग से दर्शकों के बीच अलग पहचान बनाई है. 60 साल इन्होंने विलेन के रोल को करते हुए फिल्मी जगत पर राज किया हैं।
ये सफर इनके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था पर अपने लगन, मेहनत और ईमानदारी के साथ इन्होंने इस सफर को तय किया और ये साबित कर दिए की दिल मे अगर चाह हो मंजिल को पाने की तो लाख मुश्किलें क्यों न आए रास्ते में सफलता जरूर मिलती है।
कॉलेज के जमाने से शुरू की एक्टिंग
प्रेम चोपड़ा का जन्म 23 सितम्बर, 1935 को लाहौर में हुआ था। सन 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद वे अपने परिवार के साथ शिमला आ गए थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई शिमला में ही हुई थी.
इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई पूरी की. कॉलेज टाइम से ही प्रेम चोपड़ा का मन एक्टिंग में खूब लगता था. वे बहुत लगन से प्ले मे भाग भी लिया करते थे साथ ही उनके अभिनय की काफी तारीफ होती थी.
हीरो बनने का सपना
कॉलेज के समय से ही उनका झुकाव एक्टिंग की तरफ था फिर वे हीरो बनने का सपना लिए मुंबई आ गए। शुरूआती तौर में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. फिल्मों में संघर्ष के साथ-साथ एक अखबार में काम करने लगे.
“मुड़-मुड़के ना देख’ से मिला पहला मौका
पहला मौका उन्हें साल 1960 में आई फिल्म ‘मुड़-मुड़के ना देख’ में मिला. इसमें भारत भूषण हीरो थे. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई.
इसके बाद प्रेम को पंजाबी फिल्म ‘चौधरी कर्नल सिंह’ में काम करने का मौका मिला. ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रही. इसके बाद प्रेम चोपड़ा की फिल्म ‘वो कौन थी’ आई जिसमें वो खलनायक की भूमिका में नजर आए थे.
“बॉबी” के डायलॉग से हुए फेमस
राजकपूर की फिल्म “बॉबी” से प्रेम चोपड़ा को बड़ी सफलता मिली. इस फिल्म में उनका डायलॉग था- ‘प्रेम…प्रेम नाम है मेरा. इस डायलॉग के बोलने के अंदाज से वे फेमस हो गए।
प्रेम चोपड़ा के कुछ आइकॉनिक डायलॉज जिसके लोग आज भी दीवाने है और हमेशा रहेंगे।
•फिल्म बॉबी- ‘प्रेम नाम है मेरा…प्रेम चोपड़ा’
•फिल्म सौतन- ‘जिनके घर शीशे के बने होते हैं… वो बत्ती बुझाकर कपड़े बदलते हैं.’
•फिल्म खिलाड़ी- ‘राजनीति की भैंस के लिए दौलत की लाठी की जरूरत होती है.’
• फिल्म सौतन- ‘मैं वो बला हूं, जो शीशे से पत्थर को तोड़ता हूं’
•फिल्म कटी पतंग- ‘मैं जो आग लगाता हूं उसे बुझाना भी जानता हूं’
• फिल्म आग का गोला- ‘शराफत और ईमानदारी का सर्टिफिकेट ये दुनिया सिर्फ उन्हें देती है जिनके पास दौलत होती है.’
•फिल्म राजा बाबू- ‘कर भला हो तो भला’
प्रेम काफी समय से फिल्मों से दूर हैं. वो आखिरी बार साल 2019 में आई वेब सीरीज लाइन ऑफ डिसेंट में नजर आए थे. इसके अलावा इन्होंने कई और बेहतरीन मूवीज मे काम किया जैसे- प्रेम चोपड़ा के शहीद, उपकार, पूरब और पश्चिम, दो रास्ते, कटी पतंग, दो अनजाने, जादू टोना, काला सोना, दोस्ताना, क्रांति, फूल बने अंगारे आदि।
‘मुझे देखते लोग अपनी पत्नियों को छुपा लेते थे’
86 साल के हो चुके प्रेम चोपड़ा ने खुद एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन्हें देखते ही लोग अपनी पत्नियों को छुपा लिया करते थे.
मैं अक्सर उनके पास जाता था और बात करता था तो वो यह देखकर अचंभे में रह जाते थे कि रियल लाइफ में मैं भी उनके जैसा ही इंसान हूं.
लोग मुझे असल में खूंखार विलेन समझते थे, लेकिन मैं इसे कॉम्प्लीमेंट की तरह लेता था और सोचता था कि मैं अपना काम अच्छे से कर रहा हूं.