दीपा मिश्रा
लोहड़ी का त्योहार मुख्य तौर पर पंजाब में सेलिब्रेट किया जाता है. इसके अलावा देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग नाम से बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं।
क्या है लोहड़ी के दिन अग्नि का महत्व ?
लोहड़ी के दिन अग्नि का बहुत महत्व होता है इसके बिना पूजा संपन्न ही नहीं हो सकती है। इस दिन लोग रात में आग जलाकर तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अग्नि देव को समर्पित करते हैं। लोहड़ी के दिन अग्नि को पवित्र और शुभता का प्रतीक माना जाता है.
क्या है लोहड़ी का धार्मिक महत्व?
धार्मिक विचारधारा से देखे तो लोहड़ी की आग की महत्वता की परंपरा माता सती से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि राजा दक्ष जो की माता सती के पिता थे उन्होंने एक महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, जिसमें उन्होंने सभी देवताओं को आमंत्रित किया था लेकिन भगवान शिवा और माता सती को निमंत्रण दिया गया था.
इसके बाद भी माता पार्वती महायज्ञ में जाने का हठ करने लगी. पहले तो महादेव ने उन्हें बहुत रोका कि बिला बुलाए नहीं जाना चाहिए तो माता सती ने कहा कि अपने ही घर में जाने के लिए आमंत्रण की जरूरत नहीं होती.
फिर जब वे महायज्ञ में गई तब उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की. इससे आहत होकर देवी सती ने अग्नि कुंड में अपना देह त्याग दिया. इसलिए माना जाता है कि यह अग्नि मां सती के त्याग को समर्पित है.
किसानों के लिए लोहड़ी का पर्व क्यों है बेहद खास?
हर साल पौष माह के अंतिम दिन पर इस पर्व को मनाया जाता है क्योंकि इस दौरान खेतों की फसल लहलहाने लगती है. जिसे किसान हर दिन अपने खून, पसीना और मेहनत से सीचता है.
इस दिन रात में एक जगह आग जलाई जाती है जहा आस पास के सभी लोग आते हैं। जिसके बाद सब एक साथ मिलजुल कर हंसी खुशी अग्नि देव की पूजा करते हैं। फिर उनकी परिक्रमा करते है, अपने परिवार जनों के साथ, उन्हें नए फसल चढ़ाते हैं.
इसके साथ ही सभी लोग उज्जवल भविष्य , अच्छी सेहत, सुख समृद्धि और भविष्य में अच्छी फसल होने की कामना करते हैं। जिसके बाद लोग चढ़ाए गए अनाजों को आपस में बांट कर प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसे ही लोहड़ी कहा जाता है.