Don’t Depress, Always Express: देश में 5 करोड़ लोगों को है “डिप्रेशन”…जानिए क्या है “डिप्रेशन” का सॉल्यूशन?
प्रीती गुप्ता
डिप्रेशन एक समस्या ऐसी बन चुकी है जो आजकल बहुत ही आम हो चुकी है पहले तो यह समस्या 30 से 40 वर्ष की उम्र में होती थी परंतु आज का दौर इतना ज्यादा खराब हो चुका है कि यह समस्या 15 से 16 वर्ष के लोगों को भी होने लगती है।
डिप्रेशन को न करे नजरंदाज
यहां तक कि उस व्यक्ति के बारे में लोग ये सोचते है की ये बस नाटक कर रहा है बल्कि इसके बजाए उस व्यक्ति के आसपास के लोगों को यह समझना चाहिए कि उस डिप्रेस्ड व्यक्ति को हमारी जरूरत है और उसका हमें सहारा बनना है और उस डिप्रेशन से हमें उस व्यक्ति को बाहर निकालना है।
डरावने हैं आंकड़े
WHO के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 5 करोड़ से ज्यादा व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार होते हैं. इनमें से अधिकतर महिलाएं डिप्रेशन की शिकार होती हैं।
डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जिसमें इंसान ना तो किसी से बोलता है।न ही कोई बातें शेयर करता है, न हीं हंसता है, न हीं रोता है, नहीं जीता है या यूं कहे कि एकदम शांत तरीके से रहता है और मन ही मन में बहुत सारे विचारों को सोचता रहता है। वह व्यक्ति किसी न किसी ऐसी बात को इतना सोचता रहता है जो उसे बहुत ही ज्यादा दुख पहुंचा रही होती है और उस ओवरथिंकिंग के कारण व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है।
डिप्रेशन के कारण शरीर का दुबला होना, सिर दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना, पेट दर्द या अधिक मोटापा होने की समस्या भी बढ़ने लगती है और इसके इलाज में दर-दर भटकने लगते हैं परंतु इन समस्याओं की जड़ों पर विचार नहीं करते हैं। जिससे डिप्रेशन समस्या का इलाज नहीं हो पाता है।
डिप्रेस्ड व्यक्ति के मन में खयालों के समंदर दौड़ने लगते हैं इतनी ज्यादा बातें सोचते हैं कि वह अपनी जिंदगी से हार चुके होते हैं। उनके मन में बस एक ही ख्याल होता है कि हमें अपनी जिंदगी को अब यहीं समाप्त कर देना चाहिए।
हमारी जिंदगी में कुछ नहीं बचा आगे हमारी जिंदगी नहीं चल सकती। परंतु ऐसा नहीं है जिंदगी एक ही बार मिलती है और हार कर हमें उसे खत्म नहीं करना चाहिए।
डिप्रेशन से डर कर नहीं डटकर करें मुक़ाबला
डिप्रेशन की समस्या को दूर करना बेहद जरूरी है वरना यह दीमक की तरह इतना बढ़ जाता है कि यह जिंदगी की जान ही ले लेता है।
सबसे पहले व्यक्ति के परिवार वालों को पहचानना जरूरी है की सामने वाला व्यक्ति डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहा है और तुरंत ही उन्हें साइकोलॉजिस्ट के पास ले जाना जरूरी है।
साइकोलॉजिस्ट से उस व्यक्ति का इलाज करवाना चाहिए जिससे वह साइकोलॉजी मन की भावनाएं निकलवाने में समर्थ हो सके। जिससे उस व्यक्ति का मन हल्का हो और वह अपनी बातें कहे ना कि उन्हीं बातों में घुटता रहे।
साइकोलॉजी के पास ले जाने से साइकोलॉजी उनके मन के विचार जानते हैं और उनकी दबी हुई इच्छाओं को बाहर निकल वाते है।
डिप्रेस्ड व्यक्ति के परिवार वालों को हमेशा उस व्यक्ति के आसपास रहना चाहिए ना कि उसे अकेले में ऐसे छोड़ देना चाहिए। हमेशा उस व्यक्ति के पास बैठकर बातें करनी चाहिए उसे बातों में उलझा ना चाहिए उसके साथ चीजें करनी चाहिए, तरह तरह की एक्टिविटीज करनी चाहिए, उसके मन को शांत रखने के लिए और खुश रखने के लिए माहौल को खुशनुमा बनाए रखना चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा ऐसी बातें करनी चाहिए जिससे व्यक्ति अपने मन के विचारों को उनके सामने रख सके उस व्यक्ति के साथ बिल्कुल फ्रेंडली व्यवहार रखना चाहिए उस व्यक्ति को बिल्कुल ही एक बच्चे की तरह व्यवहार करना चाहिए। जिससे वह अपनापन पाकर अपनी बातें कहने में समर्थ हो सके।
यदि ऐसा हो सकेगा तो वो जल्दी डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्या से निजात पा लेगा और दुबारा से वैसे ही अपनी जिंदगी को शुरू कर देगा।