इज़रायल और हमास के बीच जारी है भीषण ‘वार’…निर्दोष नागरिकों के मारे जाने का कौन है जिम्मेदार?
इज़रायल पर हमास ने 7 अक्टूबर को रॉकेट से हमला करके भीषण युद्ध की शुरूआत कर दी. इसके बाद इजरायल आत्मरक्षा और हमास आतंकियों को खत्म करने के नाम पर गाजा में भीषण हमला कर दिया जिसमें हजारों लोग मारे गए. इस युद्ध दोनों ओर के हजारों निर्दोष नागरिकों मारे जा रहे हैं. इसके लिए कौन है जिम्मेदार ? संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून क्या कर रहा है, आइए जानते हैं.
इज़रायल चारो ओर से दुश्मनों से घिरा देश है. साल 1948 में जब से इजरायल अस्तित्व में आया है तभी से उसे कई मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा है हमास के आतंकियों से लड़ना. फिलिस्तीन समर्थित हमास संगठन और इजरायल के अक्सर हिंसक झड़पें होती रही हैं लेकिन इस बार दोनों के बीच भीषण युद्ध हो रहा है जिसमें इज़रायल और फिलिस्तीन दोनों देशों में रहने वाले बेगुनाह नागरिक मारे जा रहे हैं. इन नागरिकों के मानवाधिकार की किसे चिंता है,ये सबसे बड़ा सवाल है?
हमास के हमले ने इजरायल को उकसाया
जब से हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इज़राइल के खिलाफ हजारों रॉकेट से हमला किया तब से इजरायल बुरी तरह से भड़का हुआ है। इस हमले मेंं हमास के आतंकवादियों ने इजरायल के लगभग 1,400 लोग मारे गए और लगभग 3,400 नागरिक बुरी तरह से घायल हो गए।
मारे गए लोगों में से बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं भी शामिल हैं. अलजजीरा के मुताबिक हमास ने अभी भी लगभग 200 लोगों को बंधक बना रखा है. इज़राइल भी ईंट का जवाब पत्थर से दे रहा है. इजरायल हवाई हमलों से लेकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई कर रहा है. इसमें अब तक गाजा में 4,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों गंभीर रुप से घायल हैं। इजरायल ने प्रण कर लिया है कि इस बार हमास का अंत करके ही वे मानेंगे.
क्या कहता है अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून ?
अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून युद्ध के नियम कानूनों पर नजर रखता है. साल 1949 में हुए जेनेवा कन्वेंशन में युद्ध से जुड़े नियमों पर सहमति बनी थी. इसमें तय किया गया था कि युद्ध कैसे लड़ा जाएगा युद्ध के दौरान किसे मारा जा सकता है और किसे नहीं? युद्ध में किस तरह के हथियारों का इस्तेमाल होगा, युद्ध के दौरान नागिरकों पर किसी तरह का हमला नहीं होना चाहिए.
ये अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून दूसरे विश्व युद्ध के बाद सदस्य देशों की सहमति से बनाए गए थे. इसमें यह भी तय किया गया था कि नागरिकों, घायलों और कैदियों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित किया जाएगा. युद्ध के दौरान नागरिकों की हत्या, यातना और बंधक बनाने जाने पर पूरी तरह से रोक लगेगी.
किसी भी पक्ष के घायलों को इलाज करने के लिए पूरी मदद दी जाएगी लेकिन क्या ये नियम कानून वर्तमान में चल रहे इजरायल या हमास मान रहे हैं तो इसका जवाब है नहीं, दोनों पक्षों में कोई भी इन नियम कानून को नहीं मान रहा जिसकी वजह से दोनों ओर से ही बड़ी संख्या में बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं.
क्या कह रहा है संयुक्त राष्ट्र ?
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दोनों पक्षों से तुरंत युद्धविराम की अपील की है. उन्होंने कहा कि ‘हमास का आतंकी हमला पूरी तरह से गलत है तो इजरायल के द्वारा हमास आतंकियों के अंत के नाम पर फ़लस्तीनी लोगों को मारना भी सही नहीं है.
जिनेवा स्थित रेड क्रॉस के विशेषज्ञों ने कहा है कि गाजा में हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने की चेतावनी देना, गाजा में लोगों को भोजन, पानी और बिजली सेवाओं को बाधित करना, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के मुताबिक नहीं है वहीं इज़राइल का कहना है कि वह अंतर्राष्ट्रीय कानून मानता है. गाजा के जिन इलाकों में आंतकियों के होने की संभावना है वहीं पर हमले किए जा रहे हैं.
कानून के मुताबिक उसे आत्मरक्षा का अधिकार है लेकिन आत्मरक्षा के अधिकार के नाम पर नागरिकों को निशाना नहीं बनाना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने फ़लस्तीनी नागरिकों के खिलाफ इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की है लेकिन इजरायल को इससे कोई फर्क पड़ता दिखाई नहीं दे रहा है।
वहीं हमास जैसे आतंकी संगठन किसी भी अंतर्राष्ट्रीय मानवतावादी कानून को नहीं मानते हैं. हमास ने सैकड़ों इजरायली नागरिकों की हत्याएं और कई लोगों को बंधक बनाकर भीषण युद्ध अपराध किया हैं। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश इजरायल के साथ हैं तो ईरान हमास का साथ दे रहा है. ऐसे में क्या तीसरे विश्व युद्ध की संभावना बन रही है ये भी बड़ा सवाल है?