कर्नाटक चुनाव : कांग्रेस ने 136 सीटें जीतकर किया कमाल…जानिए बीजेपी का क्यों हुआ बुरा हाल ?
कर्नाटक चुनाव के रिजल्ट कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आए हैं. लगभग 35 साल बाद कांग्रेस 136 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी तो वहीं बीजेपी 65 सीटों पर क्यों सिमट कर रह गई, आइए जानते हैं.
कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत हुई है. कांग्रेस ने 136 जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है। चुनाव आयोग के मुताबिक कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 136, बीजेपी को 65, जेडीएस को 19 और अन्य को 4 सीटों पर जीत मिली हैं.
कौन जीता, कौन हारा?
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शिग्गांव सीट पर कांग्रेस के यासिर अहमद खान पठान को लगभग 36 हजार मतों से हराया वहीं बीजेपी छोडकर कांग्रेस में शामिल हुए जगदीश शेट्टार को हुब्बली-धारवाड मध्य सीट पर 34 हजार से अधिक वोटों से हार मिली।
पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल-सेक्युलर के एच डी कुमारस्वामी ने चेन्नपटना सीट 16 हजार से मतों से जीत ली है। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने वी० सोमन्ना को 46 हजार 163 मतों से वरूणा सीट से जीते वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डी.के.शिवकुमार ने 1 लाख 22 हजार 392 वोटों से कनकपुरा सीट पर जीत हासिल की।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के बी एस येडियुरप्पा के पुत्र विजेन्द्र येडियुरप्पा ने शिकारीपुरा सीट 11 हजार से अधिक वोटों से जीते वहीं चित्तपुर सीट से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियांक खड़गे ने बीजेपी के मणिकांत राठौड़ को 13 हजार 640 वोटों से हराया।
कानून और संसदीय कार्य मंत्री जे सी मदुस्वामी चिक्कानायकनहल्ली में जनता दल-सेक्युलर के सी बी सुरेश बाबू से 10 हजार 42 मतों से हार गए हैं। चिक्काबल्लापुर सीट पर स्वास्थ्य मंत्री के० सुधाकर को कांग्रेस के प्रदीप ईश्वर से 10 हजार 642 वोटों से हराया।
परिवहन मंत्री बी श्रीरामुलु, बल्लारी सीट पर कांग्रेस के बी० नागेंद्र से 29 हजार 300 मतों से हार गए। विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी सिरसी सीट पर कांग्रेस के भीमन्ना नाइक से 8 हजार 712 वोटों से हार गए ।
क्यों हुई कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार?
राजनीतिक विष्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस की बड़ी जीत के पीछे कई कारण है, पहला तो बीजेपी की सरकार पर करप्शन के आरोप और जनता एंटी एनकंबैसी, दूसरा कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के गृहराज्य कर्नाटक में उनकी और प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार की रणनीति काम आई, तीसरा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और प्रियंका गांधी की आक्रामक रैली जैसे कई वजहों से कर्नाटक की जनता का साथ कांग्रेस के हाथ आया.
बीजेपी की हार का बड़ा कारण धार्मिक ध्रुवीकरण रहा. बजरंग दल पर बैन वाले मुद्दे को बजरंग बली से जोड़कर प्रचार करना बीजेपी को भारी पड़ा, पीएम मोदी से लेकर योगी तक सबने बजरंग बली से जुड़े बयान अपनी रैलियों में दिए. इसका असर कर्नाटक की जनता पर नहीं पड़ा.
अब देखना होगा कि कांग्रेस को मिली ये संजीवनी आने वाले चुनावों में जारी रहती है या नहीं. क्या कांग्रेस ऐसा कमाल 2024 के लोकसभा चुनाव में भी दिखाएगी. कर्नाटक चुनाव के रिजल्ट देखकर लग रहा है कि मोदी मैजिक धूमिल हो रहा है लेकिन मोदी मैजिक की असली परीक्षा 2024 के लोकसभा के चुनाव में होगी.