डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का ड्रॉफ्ट जारी…डेटा के ‘मिसयूज’ को रोकने के लिए ये है सरकार की तैयारी..!!
दीपा मिश्रा
केंद्र सरकार डिजिटल पर्सनेल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का ड्राफ्ट तैयार कर रही है, इसके लिए पब्लिक से भी सुझाव मांगे गए हैं.
अगर आप अपने पर्सनल डेटा को लेकर रहते है परेशान तो ये खबर आपके लिए हैं। भारत सरकार के द्वारा एक बिल को पास किया गया है, जिसके माध्यम से अब आपका पर्सनल डेटा बिलकुल सुरक्षित रहेगा।
500 करोड़ तक लग सकती है पेनाल्टी
डिजिटल बिल का मुख्य उद्देश्य आपके पर्सनल डेटा को सुरक्षित करना है, इसके साथ पर्सनल डेटा का प्रयोग उचित और वैद्य उद्देश्यों के पूर्ति के लिए हो, इसका ध्यान रखा गया है.
साथ ही बिल में पर्सनल डेटा का गलत इस्तेमाल यानि मिसयूज करने पर, निर्धारित नियमों को तोड़ने पर संबंधित कंपनियों पर जुर्माना लगाया जायगा. ये पेनेल्टी की राशि भी अब बढ़ाकर 500 करोड़ रूपये कर दिया गया हैं।
पब्लिक दे सकती है अपना ओपिनियन
डिजिटल पर्सनेल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 पर सरकार ने जनता से सुझाव आमंत्रित किया है.
इसके बारे में केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्विटर पर लिखा है कि “डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के मुद्दे पर आम लोग भी अपने विचार, सरकार तक पहुंचाए. सबके सुझावों को ध्यान में रखते हुए ड्रॉफ्ट को फाइनल किया जाएगा.
पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था. अब इसका नाम बदलकर ‘पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल’ कर दिया है, ये पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर आधारित है.
बायोमेट्रिक डेटा के लिए भी सहमति जरूरी
इसके ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि अगर किसी कंपनी में लीगल या बिजनेस उद्देश्यों के लिए यूजर्स के डेटा की आवश्यक नहीं हो तो यूजर्स के डेटा को अपने पास नहीं रखा जाना चाहिए ।
नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के बारे में भी जानकारी देता है. इसके मुताबिक किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस मार्क करने के लिए, पहले एम्प्लॉई से सहमति लेना अनिवार्य होगा.
बैंको के नो योर कस्टमर (केवाईसी) होगा प्रभावित?
कोई भी व्यक्ति अपना नया बैंक अकाउंट खुलाता है तो बैंक उससे पहचान प्रमाण पत्र के साथ निवास प्रमाण पत्र मांगता है. इसके लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंस लाइसेंसे जैसे डॉक्यूमेंट्स दिए जाते हैं. इस प्रक्रिया को ही केवाईसी कहते है.
नए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल से केवाईसी भी प्रभावित होगा क्योंकि इस प्रोसेस के तहत इकट्ठा किया गया डेटा भी नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के दायरे में आता है। बैंक को किसी भी यूजर के अकाउंट को बंद करने के बाद भी 6 महीने से ज्यादा समय के लिए केवाईसी डेटा बनाए रखना होगा ।
बच्चों के डेटा पर नज़र
बच्चों के पर्सनल डेटा को इकट्ठा करने और उसे सुरक्षित बनाए रखने के लिए नए नियमों को बनाया गया है। बच्चों का डेटा मांगने वाली कंपनियों को माता-पिता या अभिभावक की सहमति लेना जरूरी होगा।
सोशल मीडिया कंपनियों को ध्यान रखना होगा कि टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट के लिए बच्चों के डेटा को ट्रैक नहीं किया जाए अन्यथा कंपनियों पर सख्त कार्रवाई होगी।