संकट मोचक हनुमान जी को मिला था अष्ठ सिद्धिओं का वरदान…इन 8 सिद्धिओं के बारे में जानकर बनें विद्वान..!!
कहा जाता है हनुमान जी किसी के मन की बात बिना बताए जानने, कोई भी सांसारिक काम करने, लोगों पर अपना प्रभाव रखने और किसी भी जीव अपने वश में कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अष्ठ सिद्धिओं का वरदान प्राप्त है.
हनुमान जी कलयुग में एक मात्र अमर और जीवित अवतार माने जाते हैं। उनको अष्ठ सिद्धि नव निधि के दाता के रूप में जाना जाता है. उनकी पूजा से जीवन का हर संकट कट जाता है.
पहली सिद्धि ‘अणिमा’
स्वयं को सूक्ष्म कर लेने की क्षमता को ही अणिमा कहा जाता है। इससे सिद्धि को प्राप्त कर लेने से इंसान छोटा शरीर धारण कर सकता है। साधक जब चाहे एक अणु के बराबर का सूक्ष्म देह धारण करने में सक्षम होता।
दूसरी सिद्धि ‘महिमा’
दूसरी सिद्धि महिमा है। इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद मनुष्य अपने आपको असीमित विशाल बनाने की क्षमता रखता है। वह अपने शरीर को किसी भी सीमा तक फैला सकता है। साथ ही वह प्रकृति का विस्तार भी कर सकता है।
तीसरी सिद्धि ‘गरिमा’
तीसरी सिद्धि है गरिमा। इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति का आकार तो सीमित रहता है लेकिन शरीर का भार इतना बढ़ जाता है कि कोई उसको हिला तक नहीं सकता। ठीक वैसे जैसे हनुमानजी की पूंछ को भीम जैसा बलशाली हिला तक नहीं पाया था।
चौथी सिद्धि ‘लघिमा’
चौथी सिद्धि है लघिमा। इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति का शरीर इतना हल्का हो सकता है कि वह हवा से भी तेज गति से उड़ सकता है। उसके शरीर का भार ना के बराबर हो जाता है। वह अपनी इच्छा से किसी भी चीज के पास जा सकता है और उसे अपने पास ला भी सकता है।
पांचवी सिद्धि है ‘प्राप्ति सिद्धि’
जैसा कि इसके नाम से साफ होता है कि इस सिद्धि को प्राप्त कर लेने के बाद व्यक्ति कुछ भी प्राप्त कर सकता है। नामुमकिन को मुमकिन में बदल लेने की क्षमता प्रदान करती है प्राप्ति सिद्धि। वह धरती पर जो चाहे कर सकता है, सभी उसके गुलाम होंगे।
छठी सिद्धि ‘प्राकाम्य सिद्धि’
छठी सिद्धि है प्राकाम्य सिद्धि। इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति किसी के भी मन की बात को जान और समझ सकता है। किसी की भी इच्छा को भांप सकता है, चाहें सामने वाला व्यक्ति बताए या नहीं बताए
सातवीं सिद्धि ‘ईशिता सिद्धि’
सातवीं सिद्धि है ईशिता और इसका अर्थ होता है आधिपत्य। यह भगवान की उपाधि है। इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति भगवान की श्रेणी में खड़ा हो जाता है। वह दुनिया पर अपना स्वामित्व प्राप्त सकता है।
आठवीं सिद्धि ‘वशिता सिद्धि’
आठवीं वशिता सिद्धि है। इस सिद्धि को प्राप्त करने के बाद व्यक्ति किसी भी व्यक्ति अथवा वस्तु को आसानी से अपने वश में कर सकता है। चाहें फिर वह जानवर, पक्षी या फिर इंसान ही क्यों ना हो। वह किसी की भी पराजय का कारण बन सकता है।