10 दिसंबर स्पेशल: सोशल मीडिया का मानव अधिकारों पर असर..अल्फ्रेड नोबल को उनके भाई ने ऐसे कर दिया ‘अमर’..!!
केशव झा
विश्व के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से नोबेल प्राइज माना जाता है. ये पुरस्कार 10 दिसंबर 1896 को जन्मे अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है.
नोबल को उनके भाई ने ऐसे कर दिया ‘अमर’
नोबेल पुरस्कार की शुरूआत साल 1901 से हुई थी. 10 दिसंबर 1901 को, भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य और शांति में पहला नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था.
अल्फ्रेड नोबेल ने डाइनामाइट की खोज की थी. इसका उन्होंने 1867 में इसे पेटेंट कराया था. ऐसा कहा जाता है कि भाई की मौत ने नोबेल के रूप में उन्हें ‘अमर’ कर दिया. दरअसल डाइनामाइट के आविष्कार के दौरान एक हादसा हुआ था जिसमें उनके भाई की मौत हो गई थी. इसके बाद इसी आविष्कार ने नोबेल को एक तरीके ‘अमर’ कर दिया था
दरअसल उनकी आखिरी इच्छा थी कि ये ट्रस्ट उन लोगों को सम्मानित करे जिनके आविष्कार ने या जिनके महत्वपूर्ण कार्य से संपूर्ण मानव जाति के लिए सबसे कल्याणकारी हो.
मानवाधिकार दिवस का इतिहास
वहीं आज अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस भी है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने पहली बार 10 दिसंबर 1948 को पहली बार मानवाधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ये दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी.
इसकी आधिकारिक घोषणा 1950 में की गई थी। मानवाधिकार दिवस मनाने का मुख्य कारण यह है कि लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक रहना और भेदभाव को रोकना है।
हर मनुष्य के क्या हैं अधिकार?
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य पूरी दुनिया में मानवता के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकना है और लोगों को स्वाभिमान के साथ जीने का अधिकार देना है.
भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए 28 सितंबर 1993 को मानवाधिकार कानून अमल में आया,जिसके बाद 12 अक्टूबर 1993 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया।
भारत में यह आयोग राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य क्षेत्र में काम करना और मजदूरों, एचआईवी एड्स, हेल्थ ,बालविवाह, महिला अधिकार ,स्वास्थ्य, हिरासत और मुठभेड़ में होने वाली मौतों जैसे विषयों पर सक्रियता दिखाता है ।
नस्ल, रंग, जाति, धर्म, लिंग, भाषा, राष्ट्रीयता या किसी अन्य विचारधारा के आधार पर किसी भी व्यक्ति के साथ न तो भेदभाव किया जाएगा और न ही किसी को पीड़ित किया जा सकता है.
सभी को जन्मजात स्वतंत्रता और समानता का अधिकार प्राप्त है। इसमें स्वास्थ आर्थिक समाज और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है।
सोशल मीडिया के युग में क्या है मानव अधिकारों की स्थिति?
सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को और अधिक मजबूत किया है. मानव अधिकारों को आवाज देने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. सोशल मीडिया ने मानवाधिकार हनन के मुद्दों को उठाने के लिए प्लेटफार्म दिया है।
मानव अधिकारों को लेकर कई बार दोहरे मापदंड भी देखने को मिलते हैं. आतंकियों के मानव अधिकारों के लिए वकालत करने वाले लोग हमारे जवानों के मानवाधिकारों को भूल जाते हैं.