कभी रेस्टोरेंट में करते थे काम….अब इस टैटू आर्टिस्ट ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराया नाम..!!
देश के पहले टैटू आर्टिस्ट माने जाने वाले इस शख्स का नाम है लोकेश वर्मा. दिल्ली में रहने वाले इंटरनेशनल टैटू आर्टिस्ट लोकेश वर्मा की कहानी आप पढ़ेंगे तो पहली नजर में आपको लगेगा कि किसी बॉलीवुड फिल्म का स्क्रिप्ट पढ़ रहें हों।
17 साल की उम्र में की पहली नौकरी
इनके पिता आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद दिल्ली सिक्योरिटी गार्ड में सुपरवाइजर के तौर पर कार्यरत थे। उन्होंने अपनी पहली नौकरी 17 बरस की उम्र में की और ये काम था कोचिंग के बाहर पर्ची बांटने का. इसके लिए उन्हें मात्र 100 रुपए मिलते थे। फिर रेस्टोरेंट में काम किया, शादियों में जाकर डीजे के तौर पर काम करने लगे।
जन्म से पहले मां बच्चों को पढ़ाने का काम करती थी लेकिन लोकेश के देखभाल करने के लिए उन्हें वो भी नौकरी छोड़नी पड़ी । लोकेश के पिता आर्मी में थे जिसके वजह से उन्हें सैनिक स्कूल में पढ़ने का मौका मिल गया ।
उन्हें अब घर के लिए कुछ करना था और अब वो अपने पढ़ाई का खर्च खुद उठाने के लिए समर्थ थे। कई रेस्टोरेंट के लगातार चक्कर लगाने के बाद उन्हें मैकडोनल्डस (मैक डी) में काम मिला.
रेस्टोरेंट में काम करने के दौरान ही उन्हें B.COM किया. इसके बाद अपने पैसों से MBA भी कर लिया लेकिन उन्हें कोई काम नही मिला। अब रेस्टोरेंट में काम करने के साथ वो शादियों और कैफे में डीजे का काम भी करने लगे थे ।
कैसे बने टैटू आर्टिस्ट?
एक पार्टी में डीजे के तौर पर काम करने के दौरान उन्होंने निर्णय लिया की अब वे टैटू आर्टिस्ट बनेंगे. दरअसल, एक दिन लोकेश किसी पार्टी में डीजे बजाने गए हुए थे वहां उन्होंने एक व्यक्ति को देखा की वो अपने बांह पर टैटू बनवा रखा है लोकेश को भी बचपन से ही स्केच बनाने का शौक था और वो बहुत सारे स्केच बनते रहते थे ।उस व्यक्ति का टैटू देखने के बाद उन्हें भी लगा की ये काम उन्हे भी करना चाहिए ।
फिर उन्होंने पैसे बचाकर टैटू की मशीन खरीदा फिर अपने दोस्तों के ऊपर ही टैटू बनाने का प्रैक्टिस करने लगे, वो ऐसा कहते हैं की “मैं खुद ही खुद को सिखाता था”। उन्हें एक भी पैसे नही मिल रहे थे लेकिन एक चीज मिल रही थी जो आगे चले उनकी जिंदगी बदलने वाली थी वो थी एक कला, टैटू बनने की एक कला।
कैसे बनाया गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकार्ड ?
दिल्ली के वसंत विहार इलाके में एक सलून के बगल में एक छोटा सा कमरा खाली था वहीं से शुरुआत हुई लोकेश के टैटू के स्टूडियो की । जाहिर ही बात है ये चलन अभी भारत में कॉमन नही था बहुत कम लोग इसके बारे में जानते थे लेकिन धीरे धीरे इसके बारे में जानने लगें । और लोकेश भारत के पहले कलर टैटू के पोर्ट्रेट बनाने वाले पहले आर्टिस्ट बने।
2010 का वक्त था जब यूरोप से एक बहुत पॉपुलर टैटू आर्टिस्ट इंडिया आए हुए थे, उसी वक्त लोकेश को भी उस आर्टिस्ट से मिलने का मौका मिला उसके बाद वो कई बार यूरोप में जाकर लोगों को टैटू बनाए और उसके बाद एक के बाद एक कई टैटू को 17 देशों में जाकर इन्होंने बनाया ।
2011 में लोकेश किसी ह्यूमन बॉडी पर 199 फ्लैग टैटू बनने वाले दुनिया के इकलौते इंसान बनें, और इसके बाद ही इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराया गया ।