एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को हो सकती है फांसी की सजा…जानिए क्या हैं सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग की सख्त गाइडलाइंस?
एनकाउंटर..एक ऐसा शब्द जिसको सुनते ही बड़े से बड़े अपराधी की रुह कांपने लग जाती है. पुलिस की हर एनकाउंटर के बाद एक ही थ्योरी होती है कि सरेंडर करने को कहा लेकिन आरोपी ने पुलिस पर फायरिंग कर दी जिसके बाद आत्म रक्षा में पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिसमें अपराधी मारा गया. कई बार कुछ फेक एनकाउंटर पर भी गंभीर सवाल उठे, ऐसे में एनकाउंटर को लेकर क्या गाइडलाइंस हैं, आइए जानते हैं
एनकाउंटर पर सवाल उठते रहे हैं. ये सवाल सियासी ज्यादा होते है क्योंकि अपराध को मजहब के चश्मे से देखा जाता है. हर मजहब में वोट बैंक होता है और नेताओं के लिए वोट बैंक सबसे जरुरी होता है.
उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और शूटर गुलाम मोहम्मद को यूपी एसटीएफ ने मार गिराया तो उमेश की मां और पत्नी ने कहा कि उन्हें खुशी मिली वहीं 24 फरवरी को प्रयागराज में हुए इस हत्याकांड में यूपी पुलिस के दो सिपाही भी शहीद हुए थे. इन सिपाहियों के परिजनों ने भी खुशी जाहिर की.
वहीं असुद्दीन ओवेसी से लेकर अखिलेश यादव तक, ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी की नेता मोइना मित्रा से लेकर मायावती तक ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की. इसके बाद एनकाउंटर से जुड़े नियम- कानून और गाइडलाइंस को जानना जरूरी हो जाता है.
एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस
- सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक पुलिस को पक्की खुफिया जानकारी मिलने पर आरोपी पर कोई भी कार्रवाई करने से पहले इसे इलेक्ट्रानिक फॉर्म में दर्ज करना जरूरी है. इसके बाद आरोपी को सरेंडर कराने की कोशिश करनी चाहिए, जरुरत पड़ने पर उसके पैर पर गोली मारकर पकड़ना चाहिए.
- एनकाउंटर में अगर कोई भी आरोपी मारा जाता है तो कार्रवाई में शामिल सारे पुलिसकर्मियों के खिलाफ तुरंत FIR दर्ज होगी.
- FIR के बाद हुई एनकाउंटर की स्वतंत्र एजेंसी द्वारा स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. उसके लिए एनकाउंटर का पूरा विवरण, मामले की पूरी जानकारी, अपराध और अपराधी की पूरा बैकग्राउंट की जानकारी जांच करने वाले अधिकारियों को होनी चाहिए.
- सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक पुलिस एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच होनी चाहिए.
- जांच में पुलिस की गलती पाए जाने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ एक्शन लिया जाए या जांच पूरी होने तक उसे सस्पेंड किया जाए.
- फेक एनकाउंटर करने के दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों को फांसी की सजा होनी चाहिेए
एनकाउंटर पर मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइंस
- पुलिस कार्रवाई में हुई मौत की जानकारी तुरंत NHRC को देना होगा. हर हाल में 48 घंटों के अंदर मानवाधिकार आयोग को सूचना देना अनिवार्य है. मानवाधिकार आयोग की टीम स्वतंत्र तरीके से मामले की जांच करेगी
- मानवाधिकार आयोग की गाइडलाइंस के मुताबिक हर एनकाउंटर में पुलिस ही आरोपी पार्टी होती है और दूसरी पार्टी अपराधी होता है इसलिए इसकी जांच केंद्र या राज्य की स्वतंत्र जांच एजेंसी करे.
- स्वतंत्र जांच एजेंसी एनकाउंटर की रिपोर्ट 4 महीने के अंदर जमा करे. यदि इसमें पुलिस अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो उनको अपराधी मानकर उनके खिलाफ हत्या का केस चले और गंभीर मामलों में उनके फांसी की सजा मिले.
- इसके अलावा एनकाउंटर की मजिस्ट्रेटी जांच भी होनी चाहिए जो कि 3 महीने में पूरी हो जानी चाहिए.