देश

रिमोट वोटिंग सिस्टम: दूसरे राज्यों में रह रहे लोग दे पाएंगे वोट…जानिए कुछ पार्टियां क्यों कर रही हैं विरोध..!!

रिमोट वोटिंग सिस्टम के बारे में एक बार फिर चर्चा होने लगी है. चुनाव आयोग ने साल 2016 एक कमेटी बनाई गई थी जिसका नाम था कमेटी ऑफ ऑफिसर्स ऑन डोमेस्टिक माइग्रेशन जिसका काम था प्रवासियों के वोटिंग इश्यू को समझना. इस कमेटी ने क्या रिपोर्ट दी थी, आइए जानते हैं

आदर्श पांडे

कई सालो से जब मुझे वोट देना होता था तो मुझे अपने गांव जाना पड़ता था जहां का मैं निवासी हूं,तो मुझे बहुत दिक्कत होती थी बहुत संघर्ष करना पड़ता था और इसलिए मैं सोचता था की कोई ऐसा सिस्टम रहता जिसकी मदद से मेरे जैसे प्रवासी लोग अपने वर्क प्लेस से ही वोटिंग कर सकते। ये कहना है एक फैक्ट्री में काम करने वाले युवक अवधेश का

चुनाव आयोग ने अब अवधेश जैसे हजारों युवाओं के मन की समझ ली है. इसके लिए रिमोट वोटिंग सिस्टम का प्रस्ताव लाया गया है.

रिमोट वोटिंग सिस्टम की क्यों पड़ी जरूरत ?

चुनाव आयोग ने साल 2016 एक कमेटी बनाई गई थी जिसका नाम था कमेटी ऑफ ऑफिसर्स ऑन डोमेस्टिक माइग्रेशन जिसका काम था प्रवासियों के वोटिंग इश्यू को समझना ।

2016 से अंत में कमेटी ने प्रवासियों के लिए इंटरनेट वोटिंग,प्रॉक्सी वोटिंग और पोस्ट बैलेट से वोटिंग का सुझाव दिया लेकिन इसमें गोपनीयता की कमी थी। साथ ही ये कम पढ़े लिखे लोगों के लिए ये कारगर साबित नही हो पा रही थी तो इलेक्शन कमीशन ने इस आइडिया को रिजेक्ट कर दिया ।

इसके बाद इलेक्शन कमीशन ने इस प्रोब्लम का सॉल्यूशन RVM के जरिए निकाला। जिसके मदद से प्रवासी वोटर्स को अपने परमानेंट एड्रेस पर वोट देने जाने के वाजय उस एरिया में बना रिमोट वोटिंग स्पॉट पर जाना होगा ।

क्या होगा रिमोट वोटिंग सिस्टम का प्रोसेस ?

आपको नाम से तो लगता है की ये रिमोटली एक्सेसिबल होगा लेकिन ये सचाई नही है, इसके प्रोसेस को समझने के लिए आइए हम एक उदाहरण लेते हैं.

मान लीजिए एक सिद्धार्थ नाम का लड़का है जो उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से आता है और वो दिल्ली में नौकरी कर रहा है अब उत्तर प्रदेश में उसको वोट देने जाना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, अब वो दिल्ली में ही बने रिमोट स्पॉट पर जाकर वोटिंग कर सकेगा ।

कैसे देंगे वोट?

  • बूथ पर पीठासीन अधिकारी वोटर की ID Card को वेरिफाई करने के बाद उसके कॉन्स्टीट्यूएंसी कार्ड को स्कैन करेंगे।
  • इसके बाद पब्लिक डिस्प्ले यूनिट यानी एक बड़ी स्क्रीन पर वोटर के कॉन्स्टीट्यूएंसी का नाम दिखाई देने लगेगा।
  • वोटर अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट करेगा और कॉन्स्टीट्यूएंसी नंबर, राज्य कोड और कैंडिडेट नंबर के साथ यह वोट दर्ज हो जाएगा।
  • VVPAT स्लिप में स्टेट कोड और कॉन्स्टीट्यूएंसी कोड के साथ ही कैंडिडेट का नाम, सिंबल और सीरियल नंबर भी आता है। इस प्रकार वोटिंग प्रक्रिया सफल हो जायेगी ।

कांग्रेस कर रही है विरोध

चुनाव आयोग ने इस सिस्टम का डेमो 8 नेशनल और 57 रीजनल पार्टियों के सामने दिया है लेकिन कांग्रेस समेत 16 पार्टियों ने इसका विरोध किया है. उनका कहना है कि रिमोट वोटिंग सिस्टम में घरेलू प्रवासी कौन और कैसे तय होगा, ये साफ नहीं है वहीं टेक्नोलॉजी की हैकिंग भी हो सकती है. ईवीएम बेस्ड वोटिंग पर पहले भी सवाल उठ चुके हैं और जिस लोकेशन पर चुनाव होंगे वहां आचार संहिता लागू करने में भी मुश्किलें आएंगी.

वहीं बीजेपी जैसी कई पार्टियां रिमोट वोटिंग सिस्टम के समर्थन में हैं. बहरहाल इस मुद्दे पर चर्चा और बहस का दौर जारी है, अब देखना होगा कि इलेक्शन कमीशन 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इस सिस्टम को लागू कर पाता है कि नहीं?

अमेरिका,फ्रांस जैसे कई देशों में है रिमोट वोटिंग सिस्टम

दुनिया के किसी किसी देशों में भारत के तरह RVM नही है लेकिन प्रवासी वोटर्स के लिए काफी पहले से वहां काम किया गया है । आइए आपको कुछ देशों के नाम बताते हैं जहां पहले से ही इस प्रकार की कई सुविधाएं हैं ।

अमेरिकाः यहां के कुछ राज्यों में भी ई-वोटिंग की सुविधा है. विदेशों में रह रहे अमेरिकी नागरिक ईमेल, फैक्स या इंटरनेट के जरिए वोट डाल सकते हैं। आपके जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिका में ऐसे लोगों को भी ई-वोटिंग से वोट डालने का अधिकार हैं, जो अमेरिकी नागरिक हैं लेकिन उनका जन्म विदेश में हुआ है और कभी अमेरिका में भी नहीं रहे।

फ्रांसः जून 2003 में फ्रांसिसी सरकार ने अमेरिका में रह रहे अपने नागरिकों को ई-वोटिंग के जरिए वोट करने की सुविधा दी. हालांकि, उन्हें काउंसिल ऑफ फ्रेंच सिटीजंस अब्रॉड में ई-वोटिंग से वोट डालने की सुविधा मिली थी. उसी साल इंटरनेट राइट्स पर काम करने वाली संस्था ने फ्रांस सरकार को ई-वोटिंग न शुरू करने की सलाह दी थी. बाद में जून 2006 में सरकार ने विदेशों में रह रहे अपने नागरिकों को तीन तरीकों से वोट डालने की सुविधा दी, जिसमें ई-वोटिंग भी शामिल थी. विदेशों में रह रहे आधे से ज्यादा फ्रांसिसी नागरिक ऑनलाइन वोट ही देते हैं.

नीदरलैंड्सः यहां के कई शहरों में पोलिंग स्टेशन पर ई-वोटिंग की सुविधा मिलती है. विदेशों में रह रहे नागरिकों को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और यूरोपियन संसद में वोट देने का अधिकार है. ये लोग ई-वोटिंग या टेलीफोन से भी वोट दे सकते हैं. नवंबर 2006 में विदेशों में रह रहे नीदरलैंड्स के नागरिकों को पोस्टल बैलेट के विकल्प के रूप में ई-वोटिंग की सुविधा दी गई ।

एस्टोनियाः  2003 के आम चुनाव में पहली बार ई-वोटिंग का इस्तेमाल हुआ. यहां के सिस्टम में हर नागरिक का एक स्मार्ट कार्ड और इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर होता है. मार्च 2007 में एस्टोनिया में बड़े पैमाने पर ई-वोटिंग का इस्तेमाल हुआ, इसलिए इसे दुनिया का पहला इंटरनेट इलेक्शन भी कहा जाता है. उस चुनाव में साढ़े तीन फीसदी नागरिकों ने विदेश में बैठे-बैठे ई-वोटिंग से वोट दिया था।

Bureau Report, YT News

YT News is a youth based infotainment media organization dedicated to the real news and real issues. Our aim is to “To Inform, To Educate & To Entertain” general public on various sectors Like Politics, Government Policies, Education, Career, Job etc.We are on the news, analysis, opinion and knowledge venture. We present various video based programs & podcast on You Tube. Please like, share and subscribe our channel. https://www.youtube.com/user/TheAruneshkumar Contact Us: D2, Asola, Fatehpur Beri Chhatarpur Road New Delhi-110074 Mail ID: Please mail your valuable feedback on youngtarangofficial@gmail.com Disclaimer: Please visit to https://www.youngtarangnews.com/home/disclaimer/ Privacy Policy: Please visit to https://www.youngtarangnews.com/privacy-policy-2/

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button