भारत के जम्मू कश्मीर में मिला लिथियम का भंडार…जानिए इससे कैसे तेज होगी इकोनॉमी की रफ्तार?
जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है जिसकी विश्वभर में चर्चा हो रही है. इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम मिलने से भारत लिथियम उत्पादन में तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगा. आइए जानते हैं कि लिथियम के मिलने से इलेक्ट्रॉनिक कार और बैटरियों के बाजार में क्या असर पड़ेगा और कैसे ये देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हुए विकास की रफ्तार को तेज करेगा?
अनुज सिंह
लिथियम को एक बहुमूल्य खनिज पदार्थ माना जाता है इसे आधुनिक पेट्रोल की भी संज्ञा दी जाती है. इसका प्रयोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बैटरी बनाने में होता है.
कहां मिला 59 लाख टन लिथियम का खजाना?
भारत के जम्मू कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का खजाना मिला है. पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम मिला है. खनन मंत्रालय ने बताया है कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने जम्मू-कश्मीर के रिसासी जिले में सलाल-हैमाना इलाके में लीथियम की खोज की है. लीथियम के इतने बड़े भंडार मिलने से देश के विकास को रफ्तार मिलेगी जिससे देश की इकोनॉमी मजबूत होगी. लिथियम भारत को बहुत ही अमीर और शक्तिशाली देश बना सकता है
इतना महत्वपूर्ण क्यों है लिथियम?
लिथियम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बैटरी बनाने में होता है. जिस प्रकार से देश-दुनिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ती जा रही है, उस लिहाज से इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम का मिलना बेहद महत्वपूर्ण है. लिथियम की वजह से इस वक्त दुनिया भर में कई देशों में प्रतिस्पर्धा चल रही है. पूरा विश्व भारत हो इस वक्त बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में देख रहा है.
अगर भारत लिथियम का उत्पाद करने लगेगा, तो भारत अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने में बहुत ही बड़ा कदम उठाएगा जो पूरे विश्व में भारत को नंबर वन अर्थव्यवस्था वाला देश भी बना सकता है.
सस्ते होंगे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स?
इस वक्त भारत में जितने लिथियम की जरूरत होती है उसमें से 96 प्रतिशत हिस्सा दूसरे देशों से मंगाया जाता है,
इसके लिए भारत की विदेशी मुद्रा खूब खर्च होती है. साल 2020-21 में ही लीथियम बैटरियों के लिए भारत ने 8,984 करोड़ रुपये खर्च कर दिए. 2021-11 में 13,838 करोड़ रुपये की बैटरियां मंगाई गईं.
कहा जा रहा है कि जिस चीन से भारत अपना 80 फीसदी लीथियम मंगाता है उससे 4 गुना ज्यादा भंडार अब खुद उसके पास ही मिल गया है.भारत में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है |
बैटरी के महंगी होने की वजह से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत बहुत ही ज्यादा है . ऐसे में अगर भारत खुद लीथियम का उत्पादन कर पाएगा तो इलेक्ट्रिक गाड़ियां काफी सस्ती हो सकती हैं.
क्या हैं चुनौतियां?
लिथियम के मिलने से संभावनाएं तो बहुत ज्यादा हैं वहीं कुछ चुनौतियां भी हैं. दरअसल लिथियम की इतनी बड़ी मात्रा जमीन के नीचे मिली है, जिसको बाहर निकालना और रिफाइन करना मुश्किल कार्य है. इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया के पास 63 लाख टन लीथियम का भंडार मौजूद है लेकिन वह सिर्फ 6 लाख टन का ही उत्पादन कर पाता है.
दुनिया भर में फिलहाल चीन लिथियम के उत्पादन में पहले नंबर पर है वहीं अगर भारत इसे निकालने और रिफाइंड करने में सक्षम हो पाता है तो भारत चीन को पछाड़कर बहुत आगे निकल सकता है , यह कदम न सिर्फ भारत में इलेक्ट्रॉनिक कार और बैटरियों के बाजार को बड़ा बूस्ट देगा बल्कि भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था भी बनेगा और प्रदूषण कम करने में भी उसे बड़ी मदद मिल जाएगी.