Love you Life: जीत जाएंगे ज़िंदगी की हर एक जंग..अगर समझ जाएंगे जीने के ये पांच मूल मंत्र..!!
Love you Life कहते रहो और आगे बढ़ते रहो। जिंदगी जीने के लिए किसी मोटिवेशनल स्पीकर की जरूरत नहीं है। जब तक व्यक्ति का स्वयं का मन निर्धारित नहीं होगा उसके मन में सकारात्मकता नहीं होगी तब तक कितनी भी मोटिवेशन उस व्यक्ति को मजबूत नहीं बना सकेंगी। इसलिए अपने मन को इतना मजबूत बनाएं कि दुनियां की कोई ताक़त आपके मन की शांति को भंग न कर पाए।
प्रीती गुप्ता
अब सब कुछ बनने के लिए भी कुछ खोना पड़ता है। इसीलिए उतार-चढ़ाव जिंदगी का हिस्सा होते हैं जो इंसान को गिरना तो सिखाते ही है साथ ही साथ मजबूत बनाकर उसे दोबारा से उठना सिखाते हैं।
ईश्वर से मिली हुई इस खूबसूरत जिंदगी को जीने के लिए कुछ मूल मंत्र का होना भी बहुत जरूरी है और उन मूल मंत्र से ही आप अपनी जिंदगी को पूरी सकारात्मकता से, खुशियों से और आनंद तरीके से जी पाएंगे।
खुशहाल जीवन जीने का मूल मंत्र-
जिंदगी जीने के मूल मंत्र में सकारात्मकता, खुशियां, इंतजार, त्याग, लक्ष्य और धर्म-अध्यात्म जैसे विषय शामिल हैं।
पहला मूलमंत्र: ईश्वर का आभार
जिंदगी तो हर दिन मिलती है, मौत एक ही बार मिलती है. किसी को कुछ नहीं पता कब जिंदगी की शाम हो जाए, अगले दिन जिंदगी है कि नहीं इसलिए ईश्वर से मिली हुई इस जिंदगी के लिए हमेशा ईश्वर का शुक्रिया अदा करना चाहिए.
आपको इसलिए भी भगवान को आभार करना चाहिए कि ईश्वर ने आपकी जिंदगी में जो भी कुछ दिया है, बहुत से लोगों को उतना भी नसीब नहीं होता है.
इसलिए जो प्राप्त है, वही पर्याप्त है उसी में खुश रह कर अपनी जिंदगी को जीना चाहिए और हमेशा ईश्वर का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उसने आपको जिंदगी प्रदान की।
जिंदगी जीने के लिए सबसे पहले ईश्वर में आस्था और स्वयं से प्यार होना बेहद जरूरी है तभी आप अपनी जिंदगी को खुश मन से जी सकेंगे।
दूसरा मूलमंत्र: पैशन को बनाएं प्रोफेशन
खुशहाल जिंदगी का दूसरा मूलमंत्र ये है कि आप नौकरी करें या बिजनेस, आपका लक्ष्य कुछ भी हो लेकिन वह लक्ष्य ऐसा होना चाहिए जिसमें आपकी रुचि हो, जिस कार्य में आपका मन लगता हो, इसलिए अपने पैशन से जुड़े हुए प्रोफेशन में जाएं.
दोस्तों के, रिश्तेदारों के, लोगों के कहने पर नहीं, स्वयं की पसंद के आधार पर करियर चुनें. इसके आप यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि आप अपनी जिंदगी को किस लक्ष्य की ओर ले जाना चाहते हैं और उस लक्ष्य को कैसे पा सकते हैं।
जिंदगी में हमेशा एक लक्ष्य का निर्धारित होना बेहद जरूरी है और उस लक्ष्य को पाने के लिए दृढ़ संकल्प का होना उतना ही आवश्यक है।
लक्ष्य निर्धारित कर उसको पाने के लिए पुरजोर मेहनत करें और जब तक सफलता ना पालें तब तक कोशिश करते रहे।
तीसरा मूलमंत्र- त्याग और तपस्या के लिए रहें तैयार
इस धरती में जन्म लेने वाले हर किसी को संघर्ष और दुखों का सामना करना पड़ता है, वो चाहे इंसान हों या भगवान. आपने रामायण और महाभारत के बारे में जरूर सुना होगा. राजघराने से भगवान राम और सीता का संबंध रहा लेकिन जंगल जंगल उनको भटकना पड़ा. भगवान कृष्ण तो जन्म से ही घर से बेघर हो गए थे.
भगवान राम हों या भगवान कृष्ण सबको त्याग और तपस्या करना पड़ा फिर हम तो साधारण इंसान हैं. जरूरी नहीं है कि हमेशा हमारे मन का ही हो, इसलिए कहा जाता है कि जीवन में मन का हो तो अच्छा और न हो और भी अच्छा.
अगर आपके मन-मुताबिक कार्य नहीं हो पा रहा तो आपको अपने मन को समझाना होगा कि ईश्वर ने आपके लिए इस कार्य से बेहतर कार्य सोच रखा है.
इसलिए आपकी जिंदगी का औचित्य जरूरतमंदों की सेवा करना और त्याग करना होना चाहिए। त्याग जैसी भावना से यदि आपकी जिंदगी से कुछ हो भी जाता है तो आपको अपना दुख नहीं होगा।
चौथा मूलमंत्र- हर हाल में सकारात्मक रहें
जिंदगी में प्यार हो या परिवार, नौकरी हो या व्यापार, सब जगह उतार-चढ़ाव आते रहते हैं ऐसे में अगर आपके अनुसार चीजें नहीं भी हो रही हैं तो भी जीने के लिए हमेशा सकारात्मक रहें, पॉजिटिव ही सोचें.
निगेटिविटी से दूर रहें। जितना हम नकारात्मकता की और जाएंगे हम उतनी ही अपनी जिंदगी को खोखला बना देंगे। इसलिए हमेशा उन सभी छोटी-छोटी चीजों में खुश रहना चाहिए जो हमें प्राप्त हुई हैं।
जिंदगी जीने के लिए किसी मोटिवेशनल स्पीकर की जरूरत नहीं है। जब तक व्यक्ति का स्वयं का मन निर्धारित नहीं होगा उसके मन में सकारात्मकता नहीं होगी तब तक कितनी भी मोटिवेशन उस व्यक्ति को मजबूत नहीं बना सकेंगी।
इसलिए अपने मन को इतना मजबूत बनाएं कि दुनियां की कोई ताक़त आपके मन की शांति को भंग न कर पाए।
पांचवां मूलमंत्र- परिवार को बनाएं आधार, स्वयं से करें प्यार
माता-पिता से बढ़कर आपका कोई सगा नहीं इसलिए अपने परिवार को अपनी जिंदगी का आधार बनाएं. फैमिली लाइफ़ की बैकबोन होती है. अपनी इस बैकबोन को स्ट्रांग बनाएं.
जिंदगी में किसी और से प्यार करने से पहले ज़रूरी है कि आप स्वयं से प्यार करें. अपने रुप-रंग को कम न आकें. अपनी तुलना दूसरों से न करें.
खुद की खुशियों का ख्याल रखें लेकिन इसके लिए दूसरों को दुखी न करें साथ जीने के लिए स्वयं से प्यार होना बेहद जरूरी है । इसलिए हमेशा खुद से ही प्यार करना चाहिए.
खुद से ही उम्मीदें रखनी चाहिए यदि हम वही उम्मीदें दूसरों से रखते हैं तो उम्मीदें ना पूरी होने पर अत्यधिक हमें दुख होता है। इसलिए जितना स्वयं से उम्मीदें करेंगे उतना ही अपनी जिंदगी को बेहतर और सफल बना पाएंगे।
स्वयं के लिए वे सभी कार्य करने चाहिए जो स्वयं को खुशियां देती हैं ना कि यह सोचना चाहिए, यदि मैं ऐसा करूंगा तो लोग क्या सोचेंगे, यदि मैं वैसा करूंगा तो लोग क्या कहेंगे, यदि मैं वैसा करूंगा तो दूसरों को हानि होगी या नहीं इन सभी बातों को हटाकर खुद के लिए काम करने चाहिए।
जिंदगी मिली है तो उतार-चढ़ाव तो होते ही रहेंगे और यह बेहद ही आम बात है। उतार-चढ़ाव से कभी भी घबराना नहीं चाहिए और ना ही हार मान कर बैठ जाना चाहिए। बल्कि उन सभी आए उतार-चढ़ाव को एक चैलेंज के रूप में स्वीकार कर उन सभी को तोड़ते हुए हमेशा आगे बढ़ना चाहिए।
कभी भी किसी के लिए अपनी जिंदगी को खत्म नहीं करना चाहिए क्योंकि यह जीवन अनमोल है, अतुल्य हैं। एक ही बार मिलती है इसलिए जिंदगी को जी भर के जियो।
(लेख में व्यक्त विचार, लेखिका के निजी विचार हैं)