इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हज़ार शिक्षकों की भर्ती किया रद्द…युवाओं की नौकरी पर मंडराया संकट
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक अहम फैसला करते हुए यूपी में 69 हज़ार शिक्षकों की भर्ती रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मेरिट लिस्ट बनाते समय आरक्षण नियमों का सही से पालन नहीं किया गया. कोर्ट ने सर्विस रूल्स 1981 के नियम 14 के तहत नई मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया. आइए जानते हैं कि इस फैसले का नौकरी कर रहे युवाओं पर क्या असर पड़ेगा
लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने साल 2019 में हुई 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती को रद्द कर दिया है. इस भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों की लिस्ट बनाने में आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया.
क्यों रद्द हुई शिक्षक भर्ती?
लखनऊ बेंच ने आदेश दिया कि मेरिट लिस्ट को नए सिरे से बनाया जाय। कोर्ट ने 1 जून 2020 और 5 जनवरी 2022 की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सर्विस रूल्स 1981 के नियम 14 के तहत नई मेरिट लिस्ट बनाने में आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन किया जाए।
यूपी मेंं 69 हजार अध्यापकों की भर्ती के लिए बनाई गई मेरिट लिस्ट बनाते समय आरक्षण नियमों को दरकिनार कर किया गया था. कोर्ट ने इसी आधार पर ये भर्ती रद्द कर दिया है. कोर्ट ने निर्धारित नियमों के तहत अगले 3 महीने में नई मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति ए आर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि पहले बनाई गई मेरिट लिस्ट में आरक्षण कोटे का सही से पालन नहीं किया गया.
कोर्ट ने पिछले साल 13 मार्च को दिए गए एकल पीठ के फैसले को चुनौती देने वाली 90 विशेष अपीलो पर यह फैसला दिया है। कोर्ट का ये फैसला हाईकोर्ट की बेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।
नौकरी कर रहे अभ्यर्थियों का क्या होगा?
कोर्ट के इस फैसले से जहां यूपी की योगी सरकार को बड़ा झटका लगा है वहीं पिछली मेरिट लिस्ट आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों की नौकरी पर भी संकट खड़ा हो गया है।
इससे साफ है कि जन अभ्यर्थियों का नाम नई लिस्ट में आएगा उन्हें ही नौकरी मिलेगी, अन्य सभी की नौकरी जाएगी. कोर्ट ने कहा है कि टीईटी अभ्यर्थी को सिर्फ सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग लेने के योग्य बनाता है वहीं जिन अभ्यर्थियों ने आरक्षण का लाभ लिया है, उन्हें जनरल कैटेगरी में नहीं रखा जा सकता।