देश

समलैंगिक विवाह को देश में नहीं मिलेगी मान्यता…केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा

समलैंगिक विवाह यानि सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता मिलनी मुश्किल नजर आ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने LGBTQ को बड़ी राहत देते हुए कहा था कि ये क्रिमिनल ऑफेंस नहीं है इसके बाद इस वर्ग के लोग शादी की वैधानिक मान्यता की मांग करने लगे जिस पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करके विरोध किया है, आइए जानते हैं सरकार ने इस मामले पर क्या कहा?

रश्मिशंकर

समलैंगिक विवाह यानी सेम सेक्स मैरिज का मुद्दा एक बार फिर सुर्ख़ियों में है। समलैंगिक विवाह को भारत जैसे देश में मान्यता मिलनी चाहिए या नहीं इस पर बहस का दौर जारी है. कई लोग सपोर्ट में है तो कई लोग विरोध में हैं. मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है जिस पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर करके इसका विरोध किया है.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने किया विरोध

सेम सेक्स मैरिज सही है या गलत इस पर कुछ दिन से पक्ष और विपक्ष के बीच बहस चल रही है.  साल 2018 में समलैंगिक संबंधों पर  सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इसे अपराध की श्रेणी से बाहर रखा था. कोर्ट ने उस वक्त शादी करने की इजाजत नहीं दी गई थी जिसको लेकर याचिका दायर की गई है। इस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था.

सुप्रीम कोर्ट इस पर कदम उठाते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करा लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस पर सुनवाई करने के लिए 13 मार्च तक लिस्टिंग करने का निर्देश दिया था जो की अब हो चुका है

केंद्र सरकार ने 56 पन्नों का हलफनामा जारी किया. सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि समलैंगिक विवाह भारतीय परंपराओं और संस्कृति के खिलाफ है। इसको कानूनी मान्यता देने से भारतीय पारिवारिक मूल्यों को नुकसान पहुंचेगा क्योंकि भारतीय समाज में पुरुष और औरत की शादी को पवित्र माना गया है और बच्चों को उनका जैविक माता-पिता माना जाता है ।

हलफनामे में कहा गया है कि शादी की अवधारणा विपरीत जेंडर के बीच ही होती है। हमारे देश में शुरू से ही शादी की यही परिभाषा सांस्कृतिक, पारंपरिक और कानूनी रूप से मानी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने मामला जजों की संविधान पीठ को भेजा 

अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 5 जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है। अब इसकी आगे की सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है। अभी बेंच में चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और जस्टिस जे.बी. पारदीवाला शामिल थे। पांच जजों की पीठ के सामने सुनवाई की सीधा प्रसारण किया जाएगा, जैसा संविधान पीठ के समक्ष पहले भी सुनवाई के दौरान होता आ रहा है।

संविधान पीठ का फैसला बहुमत के आधार पर किया जाता है।इसमें करीबन 5 जज नियुक्त किए जाते हैं। तर्क और तथ्य के साथ अपनी बात रखते हैं और फैसला सुनाते हैं। वे जो फैसला सुनाते हैं और इस फैसले को सब के द्वारा स्वीकार किया जाता है।

भारत में पुरुष और महिला चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के रहें वे पर्सनल लॉ या स्पेशल मैरिज ऐक्ट के तहत शादी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ धारा-377 के तहत दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर चुकी है।

कई देशों में मिली है समलैंगिक विवाह को मान्यता

वही दुनिया में अभी तक में समलैंगिक विवाह को 20 से ज्यादा देशों में मान्यता प्राप्त हुई है जिसमें ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, न्यूजीलैंड स्पेन, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड और डेनमार्क जैसे देश भी शामिल है।

Bureau Report, YT News

YT News is a youth based infotainment media organization dedicated to the real news and real issues. Our aim is to “To Inform, To Educate & To Entertain” general public on various sectors Like Politics, Government Policies, Education, Career, Job etc. We are on the news, analysis, opinion and knowledge venture. We present various video based programs & podcast on You Tube. Please like, share and subscribe our channel. Contact Us: D2, Asola, Fatehpur Beri Chhatarpur Road New Delhi-110074 Mail ID: Please mail your valuable feedback on youngtarangofficial@gmail.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button