National Librarians’ Day मनाया जा रहा है आज…जानें पुस्तकें जीवन में होती हैं कितनी ख़ास?
National Librarians' Day हर साल 12 अगस्त को डॉ. एस.आर रंगनाथन के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है. उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय में पहले लाइब्रेरियन के तौर पर उल्लेखनीय काम किया था. डॉ. रंगनाथन को 1965 में भारत सरकार ने ‘नेशनल रिसर्च प्रोफेसर इन लाइब्रेरी’ से सम्मानित किया था. डिजिटल इंडिया के इस युग में पुस्तकों का क्या महत्व है, आइए जानते हैं.
National Librarians’ Day हर साल 12 अगस्त को मनाया जाता है. कहते हैं कि पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी साथी होती हैं। पुस्तकालय यानि पुस्तकों का घर ज्ञान-विज्ञान का केंद्र होते हैं.
राष्ट्रीय पुस्तकालयध्यक्ष दिवस का इतिहास
डॉ. एस.आर रंगनाथन ने लाइब्रेरी की फील्ड में उल्लेखनीय योगदान दिया था. इसीलिए उन्हें भारतीय लाइब्रेरी साइंस का जनक कहा जाता है. 12 अगस्त 1892 को बेंगलुरु में जन्मे डॉ. रंगनाथन ने अपने करियर की शुरुआत एक टीचर के रुप में की थी.
वे मद्रास विश्वविद्यालय के पहले लाइब्रेरियन थे. वे लाइब्रेरियन की भूमिका को और अधिक मजबूत या यूं कहें कि बेहतर बनाना चाहते थे ताकि पाठकों की रुचि पुस्तकों में बढ़े और वे पुस्तकालय आएं.
डॉ. रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान के क्षेत्र में वर्गीकरण और अनुक्रमण सिद्धांत और चेन इंडेक्सिंग जैसी तकनीक तैयार किया और इनका विस्तार किया किया. इससे पुस्तकालय विज्ञान को आधुनिक बनाया।
इसके अलावा उन्होंने प्रोलेगोमेना टू लाइब्रेरी क्लासिफिकेशन, लाइब्रेरी कैटलॉग का सिद्धांत और लाइब्रेरी वर्गीकरण जैसी तकनीकों को भी विकसित किया. इससे पुस्तकालय विज्ञान और अधिक समृद्धि हुआ।
उन्होंने 1945 से 1947 तक उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में लाइब्रेरियन और पुस्तकालय विज्ञान के प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया। डॉ. रंगनाथन को 1965 में भारत सरकार ने ‘नेशनल रिसर्च प्रोफेसर इन लाइब्रेरी’ से भी सम्मानित किया था।
डिजिटल इंडिया के युग में पुस्तकालयों का महत्व
डिजिटल इंडिया ने हर सेक्टर में क्रांतिकारी परिवर्तन किए हैं. पुस्तकालयों का भी डिजिटिलाइजेशन हुआ है. डिजिटल लाइब्रेरी की भई स्थापना की गई है. इसके बाद भी पारंपरिक पुस्तकालयों का महत्व कम नहीं होता है.
पुस्तकालयों का सही तरीके से संचालन करने में लाइब्रेरियन का महत्वपूर्ण रोल होता है। पुस्तकालय में मौजूद किताबों की सही जानकारी रखना और हर वर्ग की किताबों को निर्धारित जगह रखना ताकि पाठकों की मांग पर तुरंत उसे पुस्तक उपलब्ध कराई जा सके. ये सब काम करना होता है.
आज कल भले ही लोग इंटरनेट का बहुत अधिक उपयोग करके पढ़ाई करते हों लेकिन जो ज्ञान पुस्तकों से मिलता है वो इंटरनेट नहीं दे सकता. इंटरनेट से मिली जानकारी शत-प्रतिशत सही नहीं होती. इसलिए पुस्तकों में जाकर पढ़ाई करना चाहिए
रुचि कुमारी