आत्मनिर्भर भारत: नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी से ‘ट्रांसपोर्ट’ सेक्टर को मिलेगी नई उड़ान…जानिए योजना में क्या है प्रावधान..?
दीपा मिश्रा
नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी से लोकल लेवल से नेशनल लेवल तक आत्मनिर्भर भारत को एक नई उड़ान मिलेगी।
इस पॉलिसी को लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे सामानों की सप्लाई से लेकर माल ढुलाई तक की लागत में कमी आएगी. नई नेशनल लॉजिस्टिक नीति कोरोना से प्रभावित अर्थव्यवस्था को गति देगी।
क्या है नेशनल लॉजिस्ट पॉलिसी ?
देश में 10,000 से ज्यादा प्रोडक्ट्स का लॉजिस्टिक कारोबार लगभग 160 अरब डॉलर का है. इसके साथ ही यह सेक्टर 2.2 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मुहैया कराता है.
इस पॉलिसी में सिंगल रेफरेंस पॉइंट बनाया गया है जिसका मकसद अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाएगा.
फिलहाल माल ढुलाई यानी लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर का काम भारत में सड़कों के ज़रिए होता है. इस पॉलिसी के तहत अब माल ढुलाई का काम रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट से होगा.
इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि सड़कों पर ट्रैफिक कम होगा और दूसरे ईंधन की बचत होगी. इससे पैसों और समय दोनों की बचत होगी.
पॉलिसी का उद्देश्य
किसी भी सामान को विदेश से लाकर स्टोर करना और उसे जहां इसकी जरूरत है वहां पहुंचाने की इस लॉजिस्टिक्स प्रक्रिया में सड़क, जल परिवहन और हवाई यातायात का इस्तेमाल होता है और इसमें सबसे ज्यादा खर्च फ्यूल पर होता है. इस पॉलिसी का उद्देश्य ईधन पर खर्च को कम करना है.
इन सब के अलावा भी अगर माल सड़क के रास्ते ले जाया जा रहा है तो टोल टैक्स, रोड टैक्स सहित बहुत सारे ऐसे खर्चे होते हैं, जो अन्य देशों से बहुत ज्यादा कॉस्टली है. नई नेशनल लॉजिस्टिक पॉलिसी इसी खर्च को कम करने और माल के डिस्ट्रीब्यूशन-ट्रांसपोर्टेशन संबंधी सभी चुनौतियों के समाधान के उद्देश्य से लॉन्च की गई है।
क्या होता है ये लॉजिस्टिक ?
दरअसल भारत में दूर-दराज के गांव या शहरो में हर जगह ज़रूरी चीजें उपलब्ध नहीं होती हैं. खाने-पीने से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, बड़े से लेकर छोटे सामान तक के लिए व्यापारियों को अपना माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें एक जगह से दूसरी जगह ले जानी पड़ती हैं.
कभी ये दूरी कम होती है तो कभी ये दूरी काफी लंबी होती है. इसके पीछे एक बड़ा नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर तय जगह पर पहुंचाता है. इसे ही माल ढुलाई कहते हैं.
कई बार इन जरूरत के सामानों को विदेश से लाना, कहीं भी भेजने से पहले उसे अपने पास स्टोर करना और फिर जहां जिस चीज की जरूरत है उसे वहां तक पहुंचाना शामिल है.
इस पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा खर्च ईंधन का होता है. इसके अलावा, सड़कों से माल ले जाने में दूरी और तय जगह तक पहुंचने में देरी, टोल टैक्स और रोड टैक्स आदि, जो विकसित देशों में लॉजिस्टिक की सरल पद्धति के कारण आसान है और कम खर्चीला है.