महाअष्टमी: नवरात्र के 8वें दिन मां महागौरी की होती है पूजा…जानिए इस दिन कन्या पूजन का क्या होता है महत्व..?
कैसा है मां महागौरी स्वरुप?
महागौरी का वर्ण रूप से गौर अर्थात गोरा है. मां के वस्त्र व आभूषण सफेद रंग के हैं। मां का वाहन वृषभ अर्थात बैल है, जो भगवान शिव का भी वाहन है।
मां का दाहिना हाथ अभयमुद्रा में है और दूसरे हाथ में दुर्गा शक्ति का प्रतीक त्रिशुल है। महागौरी के ऊपर वाले हाथ में शिव का प्रतीक डमरू है। डमरू धारण करने के कारण मां को शिवा के नाम से भी जाना जाता है।
मां महागौरी की कथा
मां महागौरी से जुड़ी कथा इस प्रकार है. देवी पार्वती अपनी तपस्या के दौरान केवल कंदमूल फल और पत्तों का सेवन करती थीं। बाद में माता केवल वायु पीकर ही तप करना आरंभ कर दिया था।
तपस्या से माता पार्वती को महान गौरव प्राप्त हुआ है और इससे उनका नाम महागौरी पड़ा। माता की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनको गंगा में स्नान करने के लिए कहा।
जिस समय माता पार्वती गंगा में स्नान करने गईं, तब देवी का एक स्वरूप श्याम वर्ण के साथ प्रकट हुईं, जो कौशिकी कहलाईं और एक स्वरूप उज्जवल चंद्र के समान प्रकट हुआ, जो महागौरी कहलाईं। मां गौरी अपने हर भक्त का कल्याण करती हैं और उनको सभी समस्याओं से मुक्ति दिलाती हैं।
मां महागौरी का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
कन्या पूजन का विशेष महत्व
कई घरों में अष्टमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है वहीं कुछ लोग नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कन्याओं में देवी का वास होता है तो इस दिन 9 कन्याओं का विधिवत पूजन करना चाहिए और उन्हें प्रसाद खिलाना चाहिए, दान-दक्षिणा भी करना चाहिए. इससे विशेष फल मिलता है
मां महागौरी का भोग
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी को श्रीफल का भोग लगाया जाता है। श्रीफल का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं।
मां महागौरी का प्रिय रंग
मां महागौरी को गुलाबी कलर बहुत प्रिय होता है। इसीलिए इस दिन मां की पूजा में आप गुलाबी वस्त्र पहनें. इसके आपको मां महागौरी का आशीर्वाद प्राप्त होगा। इसीलिए नवरात्रि के आठवें दिन पूजा और कन्या भोज के दौरान आपको इसी कलर के कपड़े ही धारण करने चाहिए।
मां महागौरी का भोग
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी को श्रीफल का भोग लगाया जाता है। श्रीफल का भोग लगाने से माता प्रसन्न होती हैं और संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं।