विकास की पटरी पर दौड़ी ‘उम्मीदों’ की ट्रेन…छत्तीसगढ़ के नक्सली क्षेत्र अंतागढ़ तक शुरू हुई रेल सेवा..!!
सुज़ैन ख़ान
छत्तीसगढ़ के नक्सली प्रभावित इलाके में ट्रेन सर्विस उपलब्ध कराने के लिए रावघाट रेल परियोजना बनाई गई है. इसके तहत ट्रेन के पटरी बिछाने के काम में तीन साल का समय लगा अब कहीं जाकर अन्तागढ़ में ट्रेन की सेवा शुरू की गई.
केवटी से अंतागढ़ ट्रेन सेवा की शुरूआत
केवटी से अंतागढ़ की दूरी 17 किलोमीटर है. इस सेवा को शुरू करने के लिए 2019 में भी इसका दो बार परीक्षण किया जा चुका है परंतु कोरोना के कारण शुरू नहीं हो पाई थी. ये ट्रेन दल्लीराजहरा से भानुप्रतापपुर, केवटी होते हुए अन्तागढ़ पहुंचेगी
अन्तागढ़ से आगे भी पटरी बिछाने का काम अभी भी जारी है जोकि कुछ ही समय मे पूरा हो जाएगा. ट्रेन की सेवा शुरू होने के कारण लोगो में विकास की उम्मीद नज़र आई है.
कितना है किराया?
बिलासपुर, रायपुर, राजनांदगाँव और दुर्ग आने वाले केवटी के लोग यहाँ से ट्रेन पकड़ते हैं इसके बाद भी उन्हें बस में सफ़र करना पड़ता है जिसमें लगभग 200 रुपये किराए में लग जाते हैं. इसके अलावा समय भी बहुत लगता है.
अब इस ट्रेन के शुरू होने से सिर्फ़ 5 घंटे में ही रायपुर पहुंचा जा सकता है. किराए की बात करें तो दुर्ग तक 65 रुपये और रायपुर के लिए 75 रुपये किराया लगेगा. ट्रेन से यात्रा करने का यही लाभ होगा कि ज़्यादा समय व्यतीत नहीं होगा और आराम से यात्रा का मज़ा लिया जा सकता हैं.
नक्सलियों को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था सख्त
इस रेलवे लाइन के निर्माण के समय नक्सलियों ने कई बार रेल पटरियों को उखाड़ा है. इसलिए ट्रेन के अंदर और स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई है.
बस्तरवासियों ने रेल मंत्रालय से लंबे समय से मांग कर रहे थे कि रायपुर के केवटी डेमू स्पेशल ट्रेन का अंतागढ़ तक विस्तार हो. इसके बाद रेलवे ने रावघाट रेल परियोजना बनाई, पटरी बिछाई, सुरक्षा की समीक्षा की तब कहीं जाकर रायपुर से अंतागढ़ तक इस ट्रेन सेवा की शुरूआत हुई.
ट्रेन के कारण लोगों की परेशानी भी कम होगी और इससे समय की भी बचत की जा सकती है साथ ही किराया भी काफ़ी कम है जो कोई भी साधारण व्यक्ति इसका लाभ ले सकता है.
बस्तर जैसे नक्सली इलाके में ट्रेन सेवा पहुंचने से विकास की गति तेज होगी. इससे स्थानीय लोगों में खुशी की लहर है.
सरकार की योजना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में बिजली, पानी, सड़क, रेल जैसी सभी सुविधाएं पहुंचे ताकि नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सकें.