सबसे युवा देश में युवा छात्र दे रहे हैं जान….समाज, सरकार और सिस्टम कब देगा ध्यान…जानें क्या है इसका समाधान..?
सबसे युवा देश भारत में युवा छात्र 'जिंदगी' के इम्तिहान में फेल हो रहे हैं. NEET परीक्षा में फेल होने पर चेन्नई एक छात्र ने सुसाइड किया, इससे सदमे में आए उनके आहत पिता ने भी अगले दिन सुसाइड कर लिया. कोटा हो या कानपुर, JEE हो या NEET या कोई और परीक्षा, छात्रों के आत्महत्या के डरावने वाले आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं. समाज, सरकार और सिस्टम, छात्रों के सुसाइड को रोकने के प्रति कितना संवेदनशील है, आइए जानते हैं
सबसे युवा देश भारत में युवा छात्र ‘जिंदगी’ के इम्तिहान में फेल हो रहे हैं. हर साल JEE का एग्जाम हो या NEET का या कोई भी दूसरी परीक्षा, छात्र पीयर प्रेशर में डिप्रेशन में आकर अपनी सुसाइड कर रहे हैं, अपनी जान दे रहे हैं । आखिर इसके लिए कौन है ज़िम्मेदार?
मेडिकल छात्र और उसके पिता ने दी जान
चेन्नई के रहने वाले एक छात्र ने सुसाइड कर लिया क्योंकि वह मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट यानि राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (NEET) में फेल हो गया था। 19 साल के इस छात्र का नाम जगदीश्वरन था उसने इससे पहली भी दो बार (NEET) की परीक्षा दी थी लेकिन उसके अच्छे नंबर नहीं आए थे
लगातार दो प्रयासों के बाद असफल रहने के बाद वह डिप्रेशन में आ गया. वह ये सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया इसके बाद उसने अपने कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली। बेटे की मौत का सदमा पिता को भी लग गया. अपने इकलौते बेटे के अंतिम संस्कार करने के बाद अगले दिन उसके सेल्वासेकर ने भी फांसी लगा लगाकर जान दे दी।
कोटा बनी सुसाइड फैक्ट्री
राजस्थान के कोटा शहर में इंजीनियरिंग की तैयारी करवाले वाली बहुत से कोचिंग संस्थान हैं. देशभर से छात्र यहां पढ़ने आता है. इसी महीने के अगस्त तक 4 छात्रों ने सुसाइड कर लिया वहीं इस शहर में पढ़ने वाले 21 युवा छात्र सुसाइड कर चुके हैं.
कोटा में हर साल मौत के ये आंकड़ें बढ़ते जा रहे हैं. हाल ही में यानि 11 अगस्त को कोटा में (JEE) की तैयारी कर रहे मनीष प्रजापति ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने के कुछ घंटो पहले ही मनीष के पिता उससे मिलकर गए थे। मनीष के दोस्तों ने बताया की टेस्ट में कम नंबर आने की वजह से परेशान था.
यहां पर हर महीने 2-3 छात्र आत्महत्या करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इसका ज़िम्मेदार कौन है, इसकी जवाबदेही कब तय की जाएगी?
‘सुसाइड’ के क्या हैं कारण?
छात्रों के सुसाइड का सबसे बड़ा कारण है देश का एजुकेशनल सिस्टम जो छात्रों को मानसिक तनाव से ग्रस्त कर देता है. दूसरा कारण है समाज का दबाव जिसमें पैरेंट्स, रिश्तेदार जो अपने बच्चों पर सफलता का इतना प्रेशर डालते हैं कि छात्र डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं।
तीसरा कारण है वे (JEE) और (NEET) जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग संस्थान जो लाखों रुपए की फीस लेते हैं और छात्रों पर मानसिक दबाव बनाते हैं. ये कोचिंग संस्थान पैसे कमाने की फैक्ट्री बन गए हैं जो अपने छात्रों की रुचि-अभिरुचि नहीं जानते, उनकी रुचि के अनुसार करियर काउंसलिंग नहीं करते, छात्रों की मनोदशा नहीं समझते
छात्रों के जीवन के उपर बनी फिल्म ” 3 idiots” में ये साफ दर्शाया गया है की छात्रों की ज़िंदगी को एक रेस बताया गया है। सरकार और शैक्षणिक संस्थान की लापरवाही की वजह से छात्रों की जानें जाती है, जो केवल परफॉर्मेंस प्रेशर के दबाव में डालते हैं, लेकिन यह देखने की कोशीश नहीं करते की छात्रों की मानसिक स्थिति किसी है।
समस्या का क्या है समाधान?
जो युवा देश अपने युवाओं की जिंदगी की फिक्र न करें, जो सरकार अपने युवा छात्रों की दशा, दिशा और दुर्दशा को न समझे, वहां कभी सच्चे अर्थों में विकास नहीं हो सकता.
छात्र जिंदगी के इम्तिहान में फेल हो रहे हैं. उन्हें बताना और समझाना होगा कि कोई भी परीक्षा जिंदगी की परीक्षा से बड़ी नहीं है. ये जीवन अनमोल है इससे बचाना हम सबका फर्ज है.
इसका समाधान समाज, सरकार और सिस्टम के बदलाव में छिपा है. सबसे पहले तो समाज को, पैरेंट्स को समझना होगा कि हर छात्र की अपनी खासियत होती है. हर कोई इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बन सकता है तो सबसे पहले अपने बच्चे की रुचि को जानें, पहचानें और उसका जिस फील्ड में भी करियर बनाने का मन है, उसके लिए उसको सहयोग करें, प्रोत्साहित करें. अपने बच्चे की तुलना अपने रिश्तेदारों के बच्चों से न करें, अपने सपने अपने बच्चों पर न थोपें.
दूसरा सरकार भी इस ओर ध्यान दें, एजुकेशन सिस्टम में बदलाव लाए जो छात्रों को जिंदगी बचाने का संदेश दे न कि उनकी जान लेने को मजबूर करें.
तीसरा कोचिंग का कारोबार करने वाले व्यापारियों पर रोक ले, उनके जिम्मेदारी और जवाबदेही तय हो. अगर वे अपने यहां पढ़ने वाले बच्चों की मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे रहें। उनके यहां का कोई छात्र आत्महत्या करे तो उन पर उसके लिए कार्रवाई हो.
किसी भी तरह की मानसिक परेशानी से बचन के लिए सरकार के मानसिक हेल्थ प्रोग्राम के हेल्प लाइन नंबर 14416 या 18006914416 पर संपर्क करें
रुचि कुमारी