अंत्योदय का नारा देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 106वीं जयंती आज…जानिए दीनदयाल अंत्योदय योजना है कितनी ख़ास..?
उद्देश्य मंगल
पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबों और दलितों की आवाज रहे हैं. वे राष्ट्रवादी राजनेता, महान विचारक, समाज सुधारक थे. वे भारतीय जनसंघ के सह संस्थापक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक रहे हैं!
कौन थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय?
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को मथुरा जिले के फराह शहर के पास चंद्रभान गांव में हुआ था! जिसे अब दीनदयाल धाम के नाम से जाना जाता है! उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद और माता का नाम रामप्यारी था!
8 साल की उम्र में उनके माता-पिता का निधन हो गया था फिर मामा ने उन्हें पाला पोस कर बड़ा किया. उन्होंने राजस्थान से हाईस्कूल पास किया था और कानपुर के सनातन धर्म कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की। 1939 में पिलानी के बिड़ला कॉलेज से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया।
1940 के दशक में पंडित जी द्वारा हिंदुत्व राष्ट्रवाद की विचारधारा के प्रसार के लिए लखनऊ से मासिक राष्ट्रीय धर्म की शुरुआत की गयी थी, साथ ही उन्होंने पांचजन्य और दैनिक स्वदेश भी शुरू किया था.
1942 में वे पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से परिचित हुए और बाद में प्रचारक के तौर पर उभरे! 1951 में जब भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई, तब पंडित जी उत्तर प्रदेश की भारतीय जनसंघ शाखा के पहले महासचिव बने.
वे अपनी सभी संगठनात्मक क्षमताओं के अलावा, अपने दार्शनिक और साहित्यिक कार्यों के लिए भी जाने जाते हैं. वे राजनैतिक इतिहास में एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में भी पहचान बनाई. उन्होंने एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत दिया. 11 फरवरी 1968 को उनका निधन हो गया था.
क्या है दीनदयाल अंत्योदय योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 25 सितंबर, 2014 को दीनदयाल अंत्योदय योजना की शुरूआत की गई थी. इसका उद्देश्य कौशल विकास के माध्यम से गरीबों के लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना है. इस योजना के माध्यम से शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है।
मेक इन इंडिया, कार्यक्रम के तहत देशभर में इस योजना के जरिए गरीबों के लिए रोजगार उपलब्ध काराए जा रहे हैं. केद्र सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इस योजना के तहत 4041 शहरों और 790 कस्बों को कवर किया गया है. इस योजना के जरिए लोगों को ट्रेंनिग के लिए स्वयं सहायता समूह का गठन किया जाता है. प्रत्येक समूह को 10,000 रुपये शुरूआत में दिए जाते हैं वहीं पंजीकृत क्षेत्रों के स्तर महासंघों को 50, 000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।