प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की आयु में निधन…5 बार रहे पंजाब के सीएम…पीएम, प्रेसीडेंट समेत कई नेताओं ने जताई संवेदना
प्रकाश सिंह बादल पंजाब की राजनीति के सबसे बड़े नेता थे. सिखों की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था अकाल तख्त ने उन्हें पंथ रतन यानि फख्र-ए-कौम अर्थात प्राइड ऑफ दी फेथ की उपाधि से सम्मानित किया था. सरपंच से 5 बार सीएम बनने तक का उनका सफर कैसा रहा, आइए जानते हैं
प्रकाश सिंह बादल के निधन से पंजाब की सियासत में जो शून्य उभरा है, अब वो शायद ही कभी भरा जा सकेगा. केंद्र सरकार ने उनके निधन पर 2 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
पंजाब की सियासत में कोई भी बात बिना उनके नाम का जिक्र किए बगैर पूरी नहीं हो सकती. उन्होंने सरपंच से लेकर सीएम तक का सफर तय किया.
राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री ने जताया दुख
प्रकाश सिंह बादल के निधन से राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री ने दुख जताया. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने कहा कि
प्रकाश सिंह बादल आजादी के बाद से सबसे बड़े नेताओं में से एक थे. उन्होंने पंजाब के लोगों की लंबे समय तक सेवा की देश भर में उनका सम्मान किया जाता था. उनका निधन एक शून्य छोड़ देता है. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं.
वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश सिंह बादल के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए कहा कि उन्होंने उनसे बहुत कुछ सीखा है. पीएम ने ट्वीट किया,
”प्रकाश सिंह बादल के निधन से अत्यंत दुखी हूं. वह भारतीय राजनीति के एक विशाल व्यक्तित्व और एक उल्लेखनीय राजनेता थे. उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया. उन्होंने पंजाब की प्रगति के लिए अथक प्रयास किया और महत्वपूर्ण समय के दौरान राज्य को नेतृत्व दिया. उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति संवेदना.”
कहां हुआ था प्रकाश सिंह बादल का जन्म?
दिग्गज नेता प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को बठिंडा के अबुल खुराना गांव में हुआ था. उन्होंने लाहौर के फॉरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था. उन्होंने पहली बार 1957 में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया था इसके बाद 1969 में उन्होंने अकाली दल के टिकट पर गिद्दड़बाहा विधानसभा सीट से जीत हासिल की.
5 बार रहे पंजाब के सीएम
अकाली दल ने 27 मार्च, 1970 को बादल को अपना नेता चुना. इसके बाद अकाली दल ने जनसंघ के समर्थन से राज्य में सरकार बनाई. वह तब देश के सबसे कम उम्र के सीएम बने प्रकाश सिंह बादल पहली बार 1970 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने जिसमें उन्होंने गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया, हलांकि वे अपना पहला कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए
इसके बाद वह 1977-80, 1997-2002, 2007-12 और 2012-2017 में भी राज्य के मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद उन्होंने अकाली दल की बागडोर अपने बेटे सुखबीर सिंह बादल को सौंप दी.
किसानों के हितों पर दिया ध्यान
प्रकाश सिंह बादल को किसानों का हितैषी माना जाता था. उन्होंने किसानों के हितों पर सबसे अधिक ध्यान दिया और पंजाब में पहली बार उन्होंने किसानों के लिए कृषि कार्य हेतु फ्री बिजली देने का भी ऐलान किया था.
यहां तक कि केंद्र की मोदी सरकार जो किसान बिल लेकर आई थी उसके विरोध में उन्होंने अपना बीजेपी से नाता तक तोड़ लिया था. उनकी पुत्रवधू हरसिमरन कौर ने मोदी सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था.