आज़ादी के अमृत महोत्सव पर जानिए- राष्ट्रपति 26 जनवरी को राजपथ से तो प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल क़िले से क्यों फहराते हैं तिरंगा?
हमारे देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष हो गए. इस अवसर पर देश पूरे उत्साह और उमंग के साथ आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. हर साल राष्ट्रपति 26 जनवरी को राजपथ से तिरंगा फहराते हैं तो प्रधानमंत्री 15 अगस्त को लाल क़िले से ध्वजारोहण करते हैं ? इसका क्या कारण है और तिरंगा फहराने व ध्वजारोहण में क्या अंतर है, आइए जानते हैं.
15 अगस्त को पीएम लालकिले पर ही क्यों करते हैं ध्वजारोहण?
लाल क़िला को यूनेस्को ने साल 2007 में अपनी वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया था. लाल किले से हमारे देश का इतिहास जुड़ा है. साल 1857 में हुए पहले स्वतंत्रता संग्राम की तैयारी में लाल किले का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उस वक्त अंग्रेजों के खिलाफ उठी विद्रोह की चिंगारी को आग बनाने में लाल किले की अहम भूमिका रही.
आजादी के बाद लाल किले से ब्रिटिश झंडा उतारकर तिरंगा फहराया गया. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से पहली बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया. देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था. उस समय देश का प्रमुख प्रधानमंत्री ही था. इसलिए पहली बार 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से ध्वजारोहण किया था. उसके बाद से प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और देश को संबोधित करते हैं.
26 जनवरी को राष्ट्रपति राजपथ पर क्यो फहराते हैं झंडा?
डॉ राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रपति की शपथ ली थी इसके बाद वे देश के प्रथम नागरिक और संवैधानिक प्रमुख बन गए थे. वहीं 26 जनवरी 1950 को भारत ने अपना संविधान लागू किया था. यानी इस दिन से भारत सरकार किसी भी अन्य बाहरी देश के फैसले या आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं था, इसी दिन से संविधान के मुताबिक देश के सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार मिले थे. इसलिए 26 जनवरी को देश के राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस पर झंडा राजपथ पर फहराया जाता है.
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर?
15 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. इस दिन झंडे को नीचे से रस्सी के माध्यम से ऊपर खींचते है और फिर उसे खोलकर फहराया जाता है. जबकि, 26 जनवरी 1950 को देश पहले से ही आजाद था. इसलिए उस दिन साधारण तरीके से फहराया जाता है. यानी कि झंडा ऊपर ही बंधा होता है और उसे खोलकर फहराया जाता है. इसे झंडा फहराना कहते है.