हर एहसास…होता है ख़ास..दिल से लिखे जाते हैं जज्बात…जानिए कैसे व्यक्त करें अपने दिल की आवाज…!!
एहसास को अल्फाज में पिरोकर एक उभरती कवयित्री ने अपने जज्बात कैसे व्यक्त किया है, आइए जानते हैं
अंजलि तिवारी
मैं कलम से जज्बात लिखने की कोशिश करती हूँ,
मैं कोई गीत नही सिर्फ अहसास लिखती हूँ।
ख्वाहिशें तो बहुत थी इस ज़िंदगी से मगर,
जो भी दिया किस्मत ने, उसी से खुश रहती हूँ।
मैं कोई गीत नही सिर्फ अहसास लिखती हूँ.
ना हारने को कुछ है ना जीतने की कोई जिद,
जिंदगी की उधेड़बुन में थोड़ा उलझी सीरहती हूँ।
माना बहुत संघर्ष है इस छोटी सी ज़िंदगी मे मगर,
उदास चेहरे से मुस्कुराने की कोशिश में रहतीहूँ।
मैं कोई गीत नही सिर्फ अहसास लिखती हूँ.
देखती हूँ जब कभीं, आइने में अक्स अपना,
मैं खुद को समझने की जदोजहद में रहती हूँ।
रुक जाते हैं कदम बीच राह में चलते हुए अक्सर,
ना जाने क्यों हर वक्त मैं गुमशुम सी रहती हूँ।
मैं कोई गीत नही सिर्फ अहसास लिखती हूँ.
निकल पड़ती हूँ हर शाम ढले सुकून की तलाश में,
महफ़िल वो यारों की जहाँ खुल के हँस पाती हूँ।
थोड़ा रुक, आहिस्ता चल, जी लेने दे ऐ जिंदगी
ना ले इम्तिहान मेरे सब्र का, मैं परेशां बहुत रहती हूँ।
मैं कोई गीत नही सिर्फ अहसास लिखती हूँ