इंटरव्यू स्पेशल

प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए काम कर रहा है ‘जंगलवास’…जानिए इससे कितनी है आस?

प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षा बेहद जरूरी है. क्लाइमेट चेंज की बात हो या ग्लोबल वार्मिंग की यह सब गंभीर मुद्दे हैं जिन पर देश और दुनिया में चर्चा हो रही हैं। पर्यावरण एक ऐसा विषय है जिसके लिए बात करना बेहद जरूरी हैं क्यूंकि ये प्रकृति ही तो है जिसने इस संसर को इतना सुंदर बना कर रखा है। इस बारे में हमने भोपाल की रहने वाली प्रकृतिप्रेमी साक्षी भारद्वाज से बात की जो आजकल जंगलवास नाम के प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। पेश है बातचीत के प्रमुख अंश

प्रकृति को बचाने के लिए आज कल की युवा पीढ़ी कितना काम कर रही हैं।  क्या आजकल की युवा पीढ़ी जल, जंगल और ज़मीन को बचाने के लिए अपना योगदान दे रही है. इसी पर हमने बातचीत युवा प्रकृति प्रेमी साक्षी भारद्वाज से बातचीत की.

आपको युवा प्रकृति प्रेमी कहा जाता है. प्रकृति के प्रति आपका प्रेम आपके मन में पहली बार कब और कैसे आया?

मेरा बचपन से प्रकृति के प्रति लगावा रहा है फिर जब पढ़ाई पूरी हुई तो इसी दिशा में करियर बनाने का फैसला किया. तभी मैने जंगलवास नाम से 2018 में ये प्रोजेक्ट शुरु किया था.  इसके पीछे का आइडिया मेरे यहां आने वाले कबाड़ वाले भैया ने दिया. दरअसल हमारे घर से ‘कबाड़’ वाला हर महीने की अंत में कबाड़ा बेच देते था तो उसने एक बार उसने कहा कि कबाड़ की चीजों का कोई प्रयोग होता जो मैं उससे बिजनेस करता इसके बाद मैंने कबाड़ की चीजों का बेहतर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. कबाड़ की चीजें काम आई. फिनाइल की बोतल काटकर दो प्लांटर बन गये,कोक की बोतल जैसे हर चीज़ का उपयोग किया।

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हमने सुना है कि आपने एक आर्टिफिशियल एटमॉसफियर बनाकर नए पौधे विकसित किए हैं. अगर ये सच है तो कैसे किया. कृत्रिम वातावरण के जरिये पौधे कितना विकसित हो रहे है?

अगर मैं artificial environment कि बात कहूँ या विदेशी पर्यावरण की बात कहूँ या देसी तो उसमे सिर्फ तीन चीज़े होती है- मिट्टी, हवा और पानी इन्ही तीनो से पूरी सृष्टि बनी है और इसी में जाकर मिल जाती हैं। तो मेरे पास जो पेड़ है उनमे आपको फूल नहीं मिलेंगे ये थोड़ी विचित्र सी चीज़ है की मुझे फूलो से उतना लगाव नहीं है जितना पत्तियों से है।

जो प्लांट कम्युनिटी है जब मैं उनके पास गई तब मैने देखा की मेरे पास तो उतने पेड नहीं हैं। फिर मैने धीरे धीरे रिसर्च करना शुरु किया और कुछ ग्रीन जर्नल्स से मिली समझा सब फिर अपने पेड़ो के लिए ग्रीन शेड लगाई हुई है और कूलर जिससे (air circulation) अच्छे से हो। मिट्टी और पानी का ध्यान रखा है कुछ प्लांट्स होते है जिन्हे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है तो ऐसी बहुत सारी चीज़े होती है जिनका ख्याल रखना पड़ता है।

आपने Urban gardening भी कर रही हैं. इस पर आजकल काफी सुनने में आ रहा हैं. इसके बारे में कुछ विस्तार से बताए

Urban gardening concept जो है जैसा की आपने बताया स्मार्ट सिटीज और अर्बनाइजेशन की वजह से यह आया है आज से 10 साल पहले हमारे यहां बहुत जमीन हुआ करती थी पर अब उतनी जमीन नही हैं, अपने बस दिवार ओर आसमान है तो जो करना है वो यही करना हैं। तो इसका आश्य ये निकलकर आता है की आप अपने घर की दीवारों से बालकनी के कार्नर से भी ऑक्सीजन ला सकते हैं। तो ये एक ग्रीन थेरेपी हैं जिस पर युवाओ को काम करना चाहिए।

ग्लोबल वार्मिंग, कार्वन उत्सर्जन भी बड़े मुद्दे हैं. हमारी सरकारें पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन में कितना सफल साबित हो रही है 

अगर मैं आपको कहूँ की मैं दिन भर में 500 पेड़ लगा सकती हूँ तो हां में बिल्कुल लगा सकती हूँ लेकिन क्या में उन सभी की एक साथ देख रेख कर सकती हुं। नहीं में अपनी क्षमता के हिसाब से ही लगाउंगी और उतना की उनका ख्याल रखूंगी। अब 365 दिन हमारा मौसम अच्छा तो नही रह सकता की सभी पौधे पेड़ अच्छे रहे इसलिए आप जितना ख्याल रख पाए उतना ही प्रकति के लिए करें।

अगला सवाल MP से ही जुड़ा हुआ है की वहां पर छत्तरपुर जगह है जहाँ हीरा खदान हो रहा है जिसके लिए बड़ी संख्या में जंगलो को काटा जा रहा है सरकार कम स कम 2 लाख पेड़ो को कटवाने की कोशिश कर रही है तो इस पूरे मामले पर आपका क्या कहना है?

मैं बार बार एक ही चीज़ कहती हुँ कि अभी मेरी उम्र 20से 30 उम्र के बीच है जब मैं 50 साल की हो जाउंगी तब मुझे हीरा नहीं चाहिए तब मुझे ऑक्सीजन चाहिए मुझे सतह की जो चीज़ है उससे कोई मतलब नहीं है जो सतह के उपर है वो मेरे लिए बहुत माईने रखता है।

मैंने आपकी इस बात को कवर किया की जागरूकता वाली जब भी बात आती है तो जब तक आप खुद से पर्यावरण की तरफ अपना ध्यान नहीं डालेंगे या काम नही करेंगे तो कोई ओर वो सोच आपके अंदर नहीं ला सकता। जागरूकता आपके अंदर तब आएगी जब आप आज एक पेड़ लगाएंगे और फिर अगले 6 महीने तक उसकी सेवा करेंगे। तो अगर वो इमोशंस आपके अंदर आगये तो अप अपने आप जागरूक हो जायेंगे ।

सरकारें अपने स्तर पर जो कर रही हैं वो तो ठीक हैं लेकिन देश के सभी नागरिकों को भी प्रकृति को बचाने के लिए आगे आना होगा तभी हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ हवा और पानी नसीब होगा.

रिया नामदेव

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