‘प्रोजेक्ट अलंकार’… स्कूलों की दशा और दिशा बदलेगी यूपी सरकार…जानिए क्या हैं टीचर्स के विचार ?
'प्रोजेक्ट अलंकार' उत्तर प्रदेश सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है जिसके तहत पुराने हो चुके जर्जर स्कूलों के भवन का पुननिर्माण और स्कूलों के सुंदरीकरण किया जाएगा. स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए 2022-23 के लिए 100 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं. आइए जानते हैं इस प्रोजेक्ट के जरिए कैसे स्कूलों की दशा और दिशा बदलेगी?
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में 2295 शासकीय और 4512 अशासकीय यानि सहायता प्राप्त विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं. इन स्कूलों को आधुनिक बनाने के लिए यूपी की योगी सरकार ने ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ की शुरूआत की है.
क्या है ‘प्रोजेक्ट अलंकार’?
‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के तहत जिन पुराने स्कूलों की हालत बेहद खराब है, उनका पुनर्निर्माण कराया जाएगा. इसके लिए यूपी सरकार ने स्कूलों के जर्जर भवन के पुनर्निर्माण , विस्तार, विद्युतीकरण जैसे कई कार्यों को कराया जाएगा. इसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में 100.00 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं
इस योजना के तहत स्कूलों का सुंदरीकरण भी कराया जाएगा. इन स्कूलों को आधुनिक बनाए जाएगा. स्कूलों में छात्र संख्या के अनुसार पैसे दिए जाएंगे. धन आवंटन के लिए जिला स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी के अध्यक्ष संबंधित ज़िले के डीएम, डीआइओएस सदस्य सचिव, प्रांतीय खंड लोक निर्माण विभाग यानि पीडब्ल्युडी के इंजीनियर, माध्यमिक शिक्षा विभाग के वित्त एवं लेखाधिकारी भी सदस्य के रुप में होंगे।
इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर स्कूलों को धन आवंटित किए जाएगा. कमेटी को विकास और निर्माण कार्य की जानकारी रखनी होगी क्योंकि किए गए कार्य की गुणवत्ता की जिम्मेदारी इस कमेटी की होगी
कितने मापदंडों की होगी मैपिंग?
‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के तहत 27 मापदंडों की मैपिंग की जाएगी. शैक्षिक मापदंड का आधार क्लास रुम, लैब, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासरूम, फर्नीचर आदि तो वहीं गैर-शैक्षणिक में खेल का मैदान, ओपेन जिम, आर्ट एंड क्रॉफ्ट रुम, बायोमेट्रिक मशीन, बिजली व्यवस्था, सोलर पैनल, सीसीटीवी, अग्निशमन यंत्र, साइकिल स्टैंड, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, पेयजल की व्यवस्था, प्रिसिंपल रुम, स्टॉफ रुम, छात्र और छात्राओं के लिए अलग अलग वॉश रुम, बाउंड्री इत्यादि शामिल है.
टीचर्स के विचार ?
‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के बारे में टीचर्स का कहना है कि इसे यूपी के स्कूलों की दशा और दिशा बदलने वाला प्रोजेक्ट कहा जा सकता है. देखने में तो ये प्रोजेक्ट बहुत अच्छा है लेकिन बदलाव तभी होगा जब ये प्रोजेक्ट कागजों से निकलकर हकीकत में ज़मीनी स्तर पर लागू हो.