नहीं रहे देश के अनमोल ‘रतन’..86 वर्ष की उम्र में रतन टाटा का निधन..शोक में डूबा वतन
देश के अनमोल रतन थे रतन टाटा...उनका पूरा जीवन जज्बात, जिंदादिली और जुनून से भरा हुआ रहा. बीती रात 86 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. रतन टाटा ने 86 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य जो उन्हें सही मायनों में देश के अनमोल रतन बनाते हैं.
कार्तिक द्विवेदी
नई दिल्ली। परिवार ने उन्हें पढ़ने अमेरिका भेजा. वास्तुकला में ग्रेजुएशन वास्ते. शौक का आलम ये कि उन्हीं दिनों विमान उड़ाने का चस्का लग गया. तब अमेरिका में पैसे देकर विमान उड़ाने की सुविधा थी, लेकिन पाॅकेटमनी इतनी नहीं मिलती थी ऐसा शौक पूरा हो सके तो कई नौकरियां कीं. तब भी पैसे नहीं जुटे तो एक रेस्टोरेंट में बर्तन धोए.
संवेदनशील इतने कि कुत्तों में जान बसती थी. कुछ साल पहले एक नौजवान ने संस्था बनाकर कुत्तों को सड़क पर घायल होने से बचाने के लिए एक बेल्ट बनाई तो उस नौजवान को अपना पर्सनल असिस्टेंट बना लिया. इतना ही नहीं कि अपनी कंपनी के ग्लोबल मुख्यालय “बॉम्बे हाउस” मे आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए प्रबंध किया।
एक बार उनकी कंपनी की एक कार की सेल डाउन चल रही थी ऐसे में उन्होंने इसे एक बड़ी अमेरिकी कंपनी को बेचने का फैसला किया. जब वे ये सौदा करने उसके ऑफिस गये तो कंपनी के मालिक ने मजाक उड़ाते हुए कहा, ” जब आप पैसेंजर कार डिवीजन के बारे में कुछ नहीं जानते, तो इन कारों को बनाना क्यों शुरू किया? अगर मैं ये सौदा करता हूं तो ये आपके ऊपर बड़ा एहसान होगा. इस अपमान जनक व्यवहार के बाद उन्होंने ये सौदा टाल दिया.
अब कहानी 9 बरस आगे फॉरवर्ड होती है… 2008 में इन भारतीय व्यापारी की कारें दुनिया भर के मार्केट में छा चुकी थीं. वहीं, अमेरिकी कंपनी की हालत पतली हो चुकी थी. अब बारी बदले की थी… डूबती कंपनी को उबारने के लिए वह उद्योगपति आगे आए. और उस कार कंपनी के 2 उत्पादों को खरीद लिया. उस कंपनी का नाम था फोर्ड और उत्पाद थे जैगुआर और लैंड रोवर. ये कारें आज भारतीय सड़कों पर दनादन दौड़ती हैं.
रतन टाटा 1991-2012 तक टाटा संस के चैयरमैन रहे. इससे पहले उन्होंने कंपनी के कई पदों पर काम किया. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश-दुनिया की नामचीन शख्शियतों ने शोक व्यक्त किया.
पीएम ने जताया दुख
पीएम ने रतन टाटा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया में लिखा,
‘श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। साथ ही, उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण उन्होंने बहुत से लोगों को प्रिय बना लिया।”
अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने उन्हें आधुनिक भारत का पथ प्रदर्शक बताया.
रतन टाटा को 2008 में पद्म विभूषण और 2000 और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. उन्होंने देश में कई स्कूल-कॉलेजों और कैंसर अस्पतालों के निर्माण में योगदान दिया. उनकी सहजता, सरला हमेशा देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेगी. कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है.