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संसद में आपातकाल पर निंदा प्रस्ताव पारित…कांग्रेस इमरजेंसी के मुद्दे पर फिर हुई आहत

संसद का सत्र चल रहा है. इस दौरान 25 जून को देश में लगे आपातकाल यानि इमरजेंसी पर लोकसभा स्पीकर ने निंदा प्रस्ताव पेश किया. सदन में 2 मिनट का मौन भी रखा गया. इस मामले पर बीजेपी ने कांग्रेस की आलोचना की तो कांग्रेस ने कहा कि देश में अघोषित आपातकाल लगा हुआ है. इस दौरान सदन में हंगामा हुआ.

नई दिल्ली. देश में आपातकाल यानि इमरजेंसी के लगे 50 साल हो गए हैं. इस पर लोकसभा स्पीकर ने सदन में निंदा प्रस्ताव पेश किया. कांग्रेस ने सदन में हंगामा किया वहीं इंडी गठबंधन में शामिल दूसरे दल इमरजेंसी पर कुछ भी बोलने से बचते दिखे.
इमरजेंसी की हमेशा होगी निंदा- ओम बिरला
इमरजेंसी के खिलाफ सदन में निंदा प्रस्ताव पेश करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, “ये सदन 1975 में देश में आपातकाल यानि इमरजेंसी लगाने की कठोर शब्दों में निंदा करता है. इमरजेंसी की हमेशा निंदा होती रहेगी
कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि, “इमरजेंसी के दौरान लोगों के नागिरक अधिकार छीन लिए गए, विरोधी नेताओं, पत्रकारों और इमरजेंसी का विरोध करने वालों को कांग्रेस सरकार ने जेल में डाल दिया गया. इस दौरान जबरन नसबंदी की गई.
इमरजेंसी लगने के साथ ही देश में अलोकतांत्रिक तरीके अपनाए गए. असामाजिक तत्व हावी होते गए, सरकारी तानाशाही बढ़ती गई.  जब हम आपातकाल के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये 18वीं लोकसभा, बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान को बनाए रखने, इसकी रक्षा करने और इसे संरक्षित रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है.
कब और क्यों लगी थी इमरजेंसी ?

देश में इमरजेंसी 25 जून 1975 को लगाई गई थी वहीं 21 मार्च 1977 तक इमरजेंसी लगी रही. इस दौरान लगभग 21 महीने तक देश में भयानक अराजकता रही. तत्कालीन राष्ट्रपति फ़ख़रुद्दीन अली अहमद ने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के कहने पर देश में आपातकाल लगाने का एलान किया. संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की गई थी। 

इमरजेंसी की पृष्ठभूमि पर नज़र डालें तो पता चलता है कि यूपी के समाजवादी नेता राजनारायण और इंदिरा गांधी के बीच कई मुद्दों पर गंभीर मतभेद थे. वे इंदिरा गांधी के खिलाफ रायबरेली से चुनाव भी लड़े लेकिन हारते गए. साल 1971 में वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त थे लेकिन वे हार गए तो उन्होंने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी.

कोर्ट ने माना कि इंदिरा गांधी पर सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का आरोप सही है.  कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत इंदिरा गांधी पर 6 साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी. इंदिरा गांधी सुप्रीम कोर्ट गई लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिली. फिर इसके बाद सियासी संग्राम शुरू होता है जिसका अंत इमरजेंसी के रुप में होता है.

जेपी आंदोलन का असर

इंदिरा गांंधी की सरकार के खिलाफ देशभर में विरोध के सुर उठ रहे थे. जय प्रकाश नारायण ने  25 जून को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बहुत बड़ी रैली थी. इस रैली में उमड़ी भारी भीड़ ने नारा दिया था” सिंहासन खाली करो कि जनता आती है”.. बस इसी रैली के बाद इंदिरा ने आपातकाल लगाने का फैसला किया था. आज भी कांग्रेस इमरजेंसी के मामले पर आहत हो जाती है.

 

Bureau Report, YT News

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