तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला…अब 6 महीने में पति-पत्नी अपनी राहें कर सकते हैं जुदा
तलाक...तलाक...तलाक.. किसी भी रिश्ते को खत्म करने का अंतिम फैसला होता है. कई बार तलाक के मुकदमे लंबे समय तक चलते हैं लेकिन अब तलाक़ के लिए लंबा इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा. आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने में तलाक़ देने की बात क्यों कही है?
तलाक…तलाक…तलाक तभी कहा जाता है या कानूनी तौर पर किया जाता है जब रिश्ते को बचाने की सारी उम्मीदें टूट जाती है. जब शादियां नहीं नहीं पातीं और तलाक़ तक बात पहुंच जाती है तो कोर्ट से तलाक लेने में लंबा समय लग जाता है लेकिन अब 6 महीने के अंदर तलाक होगा ।
सुप्रीम कोर्ट का तलाक पर अहम फैसला
आज जोड़ियों के तलाक़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में माना है कि विवाह कि जिन शादियों के बेहतर होने की उम्मीद नहीं हो तो उनके लिए तलाक़ की प्रक्रिया जल्दी पूरी की जानी चाहिए । इसके अलवा आपसी सहमति के आधार पर तलाक़ के लिए 6 महीने के इंतजार करने की भी जरूरत नहीं है।
जस्टिस एस के कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने साफ कहा कि SC को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत इसका अधिकार है। कोर्ट ने ये फैसला 2014 में दायर शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन केस में किया है. इस कपल ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 142 के तहत तलाक़ मांगा था।
संविधान बेंच में भेजा गया मामला
इस मामले को डिवीजन बेंच ने जून 2016 में पांच जजों की संविधान बेंच को भेज दिया था. इसी मामले को संविधान बेंच के पास इस सवाल के साथ भेजा गया था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के अनुसार आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए निर्धारित 6 से 8 महीने की समय सीमा को समाप्त करने की बात कही गई थी इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का हवाला दिया गया था जिसके बाद बेंच ने 6 महीने के अंदर ऐसे रिश्ते को समाप्त करने की अनुमित दे दी जिसमें शादी को बचाए रखने की कोई भी संभावना न हो.
इससे पहले शादी के बंधन में बंधे जोड़ों को तलाक लेने के लिए फैमिली कोर्ट में जाना पड़ता था, जहां आपसी सहमति से तलाक़ के लिए कई महीने या वर्षों का इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद 6 महीने के अंदर तलाक लिया जा सकेगा
(ये स्टोरी YT NEWS के साथ इंटर्न कर रहे प्रबीन उपाध्याय ने लिखी है)