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Happy Birthday Suresh Wadkar: कैसे म्यूजिक टीचर से सुपरहिट सिंगर बने सुरेश वाडकर?

Deepa Mishra

07.08.22, 8.35 PM

बालीवुड के जाने माने सिंगर सुरेश वाडकर ने हिंदी के अलावा मराठी, भोजपुरी, ओड़िया, भजन और कोंकणी फिल्मों के लिए सैकड़ों सुपरहिट गाने गाए हैं. 7 अगस्त को उनका जन्मदिन है, आइए इस अवसर पर आपको बताते हैं कि म्युज़िक टीचर से सफल सिंगर बनने तक का उनका सफ़र कैसा रहा?

सुरेश वाडकर की फैमिली बैकग्राउंड

सुरेश वाडकर का जन्म 7 अगस्त 1955 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक मिडिल-क्लास परिवार में हुआ था. उनके पिता ईश्वर वाडकर एक कपड़े के मिल में काम करते थे और उनकी मां मिल के वर्कर्स के लिए खाना बनाया करती थी. बचपन से ही उन्हें गाने का शौक था.

साल 1968 में, महज 13 साल की उम्र में उन्हें प्रयाग संगीत समिति के जरिए “प्रभाकर” प्रमाण पत्र मिला जो कि बीएड के बराबर माना जाता था फिर वे मुंबई के आर्य विद्या मंदिर में एक संगीत के टीचर की हैसियत से जुड़ गए. सुरेश वाडकर जी ने क्लासिकल सिंगर ‘पद्मा’ के साथ 1988 मे विवाह किया. इस समय उनकी दो बेटियां ‘आन्या’ और ‘जिया’ हैं. पद्मा वाडेकर सारेगामा की पहली प्रतियोगी के तौर पर भी जानी जाती हैं.

किसने दिया सुरेश वाडकर को पहला ब्रेक?

फिल्म इंडस्ट्री में पहला ब्रेक उन्हें उनके दादू ने दिया था. वे मशहूर संगीतकार रविंद्र जैन को दादू कहकर बुलाते थे. दरअसल 1976 में सुर-सिंगर कॉम्पीटीशन में सुरेश वाडकर ने भाग लिया था. इस शो के जज रविंद्र जैन और जयदेव थे. रविंद्र जैन कहा था कि जो भी भी ये शो जीतेगा, उसे वे पहला ब्रेक देंगे. सुरेश वाडकर इस शो के विनर बन गए और इस तरह 1977 में आई राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘पहेली’ में रवीन्द्र जैन ने उन्हें गाने का मौका दिया,

लता मंगेशकर का आशीर्वाद, रहा सुरेश वाडकर के साथ

स्वर कोकिला लता मंगेशकर को सुरेश वाडकर बहुत मानते थे. दरअसल फिल्मों में काम दिलाने के लिए दीदी ने उनकी बहुत मदद की. लता दी ने ही उस दौर के मशहूर संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और कल्याणजी-आनंदजी से उनके नाम की सिफारिश की. लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने साल 1981 में आई फिल्म ‘क्रोधी’ में उन्होंने लता मंगेशकर के साथ गाना गवाया. इस फिल्म के दो गीत “चल चमेली बाग़ में” और “मेघा रे मेघा रे” जैसे हिट गानों के बाद उनकी गिनती इंडस्ट्री के टॉप गायकों में होने लगी.

इन गानों को दी अपनी आवाज़, जिस पर दुनिया को है नाज़

साल 1978 में आई फिल्म ‘गमन’ के लिए जयदेव ने सुरेश वाडकर से ‘सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है’ गाना गवाया. इस गाने की सफलता ने उनके लिए बालीवुड के दरवाजे खोल दिए. चांदनी फिल्म में लगी आज सावन की फिर ओ झड़ी है, दिल फिल्म से, ओ प्रिया प्रिया, ईमानदार फिल्म में और इस दिल में क्या रखा है, सत्या फिल्म में सपने में मिलती है ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है हिना फिल्म में  मैं देर करता नहीं, देर हो जाती है, प्यासा सावन फिल्म में  मेघा रे मेघा रे और प्रेम रोग फिल्म में मेरी किस्मत में तू नही शायद जैसे अनेकों सदाबहार और सुपरहिट गाने गाए हैं।

साथ ही इन्होंने कई मधुर भक्ति भजन भी गाए हैं। श्री साई, माझी दुलजा भवानी, मुखी असवे भवानी, धरती गगन में होती है, लेके पूजा की थाली, ॐ गण गणपतए नमो नमः, गणेश चालीसा, शनि मंत्र।

किन पुरस्कारों से हुए सम्मानित

सुगम संगीत के लिए सुरेश वाडकर जी को 2018 में ‘संगीत नाटक अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, 2020 में इन्हे भारत सरकार के द्वारा ‘पद्मा श्री ‘ मिला, इसके साथ ही उन्हें मदन मोहन और लता मंगेशकर पुरस्कार भी मिले

सुरेश वाडकर जी को टीम यंग तरंग की ओर से जन्मदिन की अनेकों शुभकामनाएं

Bureau Report, YT News

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