महाराष्ट्र में ठाकरे और शिंदे गुट को लगा झटका…जानिए चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह क्यों फ्रीज किया?
दीपा मिश्रा
असली शिव सेना कौन ? महाराष्ट्र में पिछले कुछ महीनों से ये सवाल सबके सामने आ रहा है। शिव सेना के चुनाव चिन्ह को लेकर शिंदे और ठाकरे गुट में हो रहे टकराव का मामला कोर्ट पहुँच गया है। इसी बीच चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिन्ह धनुष बाण को फ्रीज़ कर दिया है। इससे दोनों गुटों को कैसे झटका लगा है, आइये जानते हैं:
चुनाव चिन्ह पर अपना हक जताने के लिए शिंदे गुट ने चुनाव आयोग से मुलाकात की थी । साथ ही उन्होंने अपने आवेदन में धनुष और बाण के आवंटन की भी मांग की थी.
वहीं दूसरी तरफ ठाकरे गुट ने भी अपनी तरफ से दलीले देते हुए कहा था की हम इस चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं तो जो स्थिति है वही रहनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह किया फ्रीज
असली शिवसेना कौन है इस सवाल का जवाब सब तलाश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की बात सुनी। इसके बाद आयोग ने दोनों पक्षों से अपना नया चुनाव चिन्ह चुनने को कहा।
इसके साथ ही आयोग ने शिव सेना के पुराने चुनाव चिन्ह धनुष बाण को फ्रिज कर दिया है। इस वजह से दोनो गुटों में से कोई भी गुट पुराने चुनाव चिन्ह का प्रयोग नही कर सकेंगे।
उद्धव ठाकरे का तर्क…चुनाव आयोग के समक्ष
ठाकरे गुट ने 4 अक्टूबर को भेजी 17 पेज की याचिका में दावा किया था कि पार्टी पर उनका पूर्ण नियंत्रण है. पार्टी में कुछ बागी अलग गुट बना चुके हैं, लेकिन शिवसेना के नाम, निशान, प्रशासन और प्रबंधन पर उनका ही नियंत्रण है. लिहाजा चुनाव चिह्न तीर-कमान और पार्टी के मूल नाम पर उनका ही अधिकार है. ये किसी दूसरे को ना दिया जाए.।
साथ ही शिवसेना ने ये भी दलील दिया कि हमारे पास 15 विधायक हैं. एकनाथ शिंदे गुट के पास एक भी विधायक नहीं है. शिंदे समूह के खिलाफ निलंबन प्रक्रिया अभी भी चल रही है. शिवसेना ने यह भी तर्क दिया कि उनके 12 विधान परिषद सदस्य हैं लेकिन शिंदे के पास एक भी विधान परिषद सदस्य नहीं हैं. ऐसी स्थिति में पार्टी शिवसेना की ही रहनी चाहिए.
शिंदे गुट पर निशाना
ठाकरे ने कहा कि लोकसभा में एकनाथ शिंदे गुट का समर्थन करने वाले 7 सांसदों के खिलाफ निलंबन प्रक्रिया लंबित है. राज्यसभा में उद्धव गुट के 3 राज्यसभा सांसद हैं लेकिन शिंदे गुट के पास एक भी नहीं हैं. 234 की संख्या वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी में उद्धव गुट के 160 सदस्य हैं जबकि शिंदे समूह में कोई नहीं है. बाहरी राज्यों से 18 प्रभारी शिवसेना के साथ हैं, वहीं शिंदे के साथ कोई नहीं है.
उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग को तर्क दिया था कि हमें शिवसेना पार्टी के 10 लाख से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त है जबकि शिंदे समूह के साथ सिर्फ 1.60 लाख लोग जुड़ा है. शिवसेना पार्टी के पास 2,62,542 अलग-अलग पदाधिकारी हैं, जबकि एकनाथ शिंदे के पास किसी का समर्थन नहीं है.।