जय माता दी : नवरात्र के तीसरे दिन किस देवी की होती है आराधना…जानिए कैसे करें पूजा- अर्चना ?
आरती कुमारी
चंद्रघंटा देवी की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन की जाती है। माता का तीसरा रूप मां चंद्रघंटा शेर पर सवार हैं।
पूजा का महत्व
जिन लोगों की कुंडली में मंगल कमजोर हो उन्हें मां चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए. इससे मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव खत्म हो जाते है।देवी के इस रूप की पूजा से सारे पाप खत्म हो जाते हैं।
देवी चंद्रघंटा की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन समय में देवताओं और असुरों के बीच बहुत लंबे समय तक युद्ध चला। देवताओं के स्वामी भगवान इंद्र थे और असुरों का स्वामी महिषासुर था। जब युद्ध समाप्त हुआ तो महिषासुर ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर ली और इंद्र का सिंहासन हासिल कर स्वर्ग लोक पर राज करने लगा।
देवताओं ने भगवान को बताया कि महिषासुर के अत्याचार के कारण स्वर्ग लोक तथा पृथ्वी पर अब विचरन करना असंभव हो गया है। तब यह सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव शंकर अत्यंत क्रोधित हो गए।
उसी समय तीनो भगवान के मुख से एक ऊर्जा उत्पन्न हुई। तभी वहां एक कन्या प्रकट हुई। तब शंकर भगवान ने देवी को अपना त्रिशूल भेट किया। भगवान विष्णु ने भी उनको चक्र प्रदान किया।
इसी तरह से सभी देवता ने माता को अस्त्र-शस्त्र देकर सजा दिया। इंद्र ने भी अपना वज्र एवं ऐरावत हाथी माता को भेंट किया।सूर्य ने अपना तेज, तलवार और सवारी के लिए शेर प्रदान किया।
तब देवी सभी शास्त्रों को लेकर महिषासुर से युद्ध करने के लिए युद्ध भूमि में आ गई। उनका यह विशाल का रूप देखकर महिषासुर भय से कांप उठा। तब महिषासुर ने अपनी सेना को मां चंद्रघंटा के पर हमला करने को कहा।
तब देवी ने अपने अस्त्र-शस्त्र से असुरों की सेनाओं को भर में नष्ट कर दिया। इस तरह से मां चंद्रघंटा ने असुरों का वध करके देवताओं को अभयदान देते हुए अंतर्ध्यान हो गई।
किस मंत्र से करें मां चंद्रघंटा की पूजा
पूजा मंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
मां चंद्रघंटा का प्रिय रंग
मां चंद्रघंटा को नारंगी रंग बहुत पसंद है. कहते हैं नारंगी रंग के वस्त्र पहनकर देवी की पूजा करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। भय से मुक्ति मिलती है।
मां चंद्रघंटा का भोग
देवी मां को दूध से बनी मिठाई जैसे खीर, रबड़ी का भोग एत्यंत प्रिय हैं।