शुभ जन्माष्टमी: देश के इन 10 कृष्ण मंदिरों के बारे में जानिए, जहां लगती है श्रद्धालुओं की भारी भीड़
रश्मि शंकर
जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्री कृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कन्हा। आज हम आपको बताइयेंगे की भारत में ऐसे 10 कृष्ण मंदिर कौन कौन से हैं, जो विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।
1. जगन्नाथ मंदिर –
हिन्दुओं की प्राचीन और पवित्र 7 नगरियों में पुरी उड़ीसा राज्य के समुद्री तट पर बसा है। जगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। भारत के पूर्व में बंगाल की खाड़ी के पूर्वी छोर पर बसी पवित्र नगरी पुरी उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से थोड़ी दूरी पर है।
पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। यहां लक्ष्मीपति विष्णु ने तरह-तरह की लीलाएं की थीं।
2. प्रेम मंदिर, वृंदावन
वृंदावन का ये प्रेम मंदिर भगवान श्री राधा- कृष्ण और राम-सीता को समर्पित है. इस भव्य मंदिर की संरचना पांचवें जगदगुरु कृपालु महाराज द्वारा स्थापित की गई थी. मंदिर पूरे एक हजार मजदूरों द्वारा 11 सालों में बनाकर तैयार किया गया था।
इस भव्य औऱ खूबसूरत मंदिर का निर्माण जनवरी 2001 में शुरू किया गया था और इसका उद्घाटन समारोह 15 फरवरी से 17 फरवरी 2012 तक किया गया. फिर 17 फरवरी को इसे सार्वजनिक रूप से खोला दिया गया था.
इस मंदिर की ऊंचाई 125 फीट की है और लंबाई 122 फीट है. वहीं मंदिर की चौड़ाई करीब 115 फीट है. ये मंदिर संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है जो कि इटली से मंगवाए गए थे।
3.इस्कॉन मंदिर, वृंदावन
वैसे तो देश दुनिया में बहुत से इस्कॉन मंदिर हैं लेकिन उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित एक हिंदू धर्म से जुड़ी प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। इस इस्कॉन मंदिर को श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
वृंदावन में स्थित इस्कॉन मंदिर को 1975 ईस्वी के दौरान संगमरमर से भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने इसका निर्माण करवाया था। वृंदावन में स्थित इस मंदिर की आंतरिक एवं बाहरी हिस्सों में नक्काशी इस तरीके से की गई है, कि देखने वाले इसे देखते ही रह जाए।
4.द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा
भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। आजकल इस मंदिर का बंदोबस्त वल्लभाचार्य सम्प्रदाय देखती है। मुख्य आश्रम में भगवान् कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की मूर्तियाँ हैं।
इस मंदिर में दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर के अन्दर सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। यह मंदिर रोज़ हज़ारों की संख्या में आने वाले पर्यटकों का स्वागत करता है और त्यौहार (होली और जन्माष्टमी) के समय में यहाँ भीड़ और भी बढ़ जाती है। यह अपने झूले के त्यौहार के लिए भी मशहूर है।
5. श्रीनाथ जी मंदिर, नाथद्वारा राजस्थान
श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में स्थित है, जहां पर 2,3 या 4 नहीं, बल्कि 8 आरती होती है। श्रीनाथजी मंदिर का कोई शिखर नहीं है। नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी मंदिर को वैष्णव धर्म के वल्लभ संप्रदाय के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
इस मंदिर में 8 आरती होने की वजह से यह मंदिर ना ही राजस्थान और भारत बल्कि विदेशों में भी काफी प्रसिद्ध है। श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा में स्थित है, जो राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक शहर है। यह शहर बनास नदी के तट पर और अरावली पर्वत के नजदीक में स्थित है।
6. इस्कॉन मंदिर, बैंगलोर
यह मंदिर भारत के कर्नाटक राज्य में बैंगलोर के पास राजाजीनगर नामक जगह में स्थित है। इस्कॉन को इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस के नाम से जाना जाता है। यह एक हिंदू धार्मिक संगठन है जिसके मंदिर पूरे भारत के साथ-साथ विदेशों में भी स्थापित हैं।
इसे हरे कृष्ण आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। पूरे विश्व भर में फैले सुंदर इस्कॉन मंदिर भक्तों और यात्रियों के लिए महान आकर्षण के केंद्र हैं। जो शहरी जीवन की हलचल से कुछ समय दूर रहना चाहते हैं।
7. श्री रंछोद्रीजी महाराज मंदिर, गुजरात
रणछोड़ मंदिर, डाकोर गुजरात में गोमती नदी के तट पर डाकोर में स्थित है। डाकोर जी, गुजरात राज्य का प्रसिद्ध वैष्णव तीर्थ, भारत के प्रसिद्ध तीर्थों में से एक है।भगवान रणछोड़जी हर भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं. जिस धरा पर भगवान ने अपना लीला की वह पवित्र और हमेशा के लिए पूजनीय हो गया है.
8. अरुलमिगु श्री पार्थसारथी स्वामी मंदिर, चेन्नई
दक्षिण भारत के केरला के पत्तनंतिट्टा जिला के आरन्मुला में 12 कवि का आलवार से निर्मित “दिव्य देशम ‘ कहनेवाला मंदिर है पार्थसारथी मंदिर । इसका मूर्तिकला केरल शैली में है ।
ईस्वीं छठी से लेकर नवीं दशक के तमिल आलवार संतों द्वारा मंदिर का वर्णन हुआ है । यह 108 दिव्यदेशंस में एक है जो कृष्णभगवान को समर्पिति है । विष्णु के इस अवतार रूप को पार्थसारथी कहते हैं ।
9. बालकृष्ण मंदिर, हंपी कर्नाटक
हम्पी में कृष्ण मंदिर, कर्नाटक अनूठी स्थापत्य कला के साथ एक उल्लेखनीय है. यह मंदिर, भगवान कृष्ण के बालकृष्णके रूप में समर्पित है जब वह एक शिशु थे मंदिर की मुख्य मूर्ति प्रभु बालकृष्ण की है, जो कि चेन्नई में राज्य संग्रहालय में अब प्रदर्शन पर है। मंदिर परिसर खंभों हॉल और कई छोटे मंदिर के साथ सजा है.
10. उडुपी श्री कृष्ण मठ, कर्नाटक
कृष्ण मंदिर या उडुपी श्री कृष्ण मठ भगवान कृष्ण को समर्पित सबसे शुभ मंदिरों में से एक है। मंदिर में स्थित भगवान की आकर्षक मूर्ति को रत्नों और स्वर्ण रथ से सजाया गया है। मंदिर की पूजा पद्धति, पूजा की प्रार्थना और प्रक्रिया सिर्फ चांदी की परत वाली खिड़की के माध्यम से होती है। जिसमें नौ छेद होते हैं एव उसको नवग्रह किटिकी कहा जाता है।
कृष्ण एक बहुत नटखट बच्चे हैं। वे एक बांसुरी वादक हैं और बहुत अच्छा नाचते भी हैं। वे अपने दुश्मनों के लिए भयंकर योद्धा हैं। कृष्ण एक ऐसे अवतार हैं जिनसे प्रेम करने वाले हर घर में मौजूद हैं। वे एक चतुर राजनेता और महायोगी भी हैं।
अलग-अलग लोगों ने कृष्ण के अलग-अलग रूपों को देखा और समझा है। किसी के लिए वे भगवान हैं तो किसी के लिए धोखेबाज़। कोई उनके अंदर एक प्रेमी के दर्शन करता है, तो किसी को उनमें लड़ाका नज़र आता है। इसका मतलब यह हुआ, कि उनके एक नहीं कई व्यक्तित्व हैं।