तुर्कीये में भूकंप ने मचाई भारी तबाही…10 फीट तक खिसक गई धरती…जानिए दुनिया भर में चिंता कैसे बढ़ी..!!
तुर्किये में आए भूकंप ने 12 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले ली. इस भयानक भूकंप ने धरती को 10 फीट तक खिसका दिया है. धरती की सेहत के लिए ऐसे भूकंप बहुत खतरनाक होते हैं. पूरी मानव जाति के लिए ये भूकंप की एक चेतावनी है. आइए जानते हैं कि धरती खिसकने से किस तरह से पूरी दुनिया में चिंता बढ़ गई है और इसका भारत में कैसे असर पड़ेगा?
अनुज सिंह / एजेंसियां
तुर्कीये में भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. तुर्किये में भूकंप ने हड़कंप मचा दिया है. इस देश में सब कुछ तहस-नहस हो गया है. कई सारी इमारतें गिरकर ध्वस्त हो गई हैं | 12 हजार से ज्यादा लोगों इन इमारतों के नीचे दबकर मर गए हैं |
इस भूकंप की तीव्रता 7.8 थी, जो बेहद ज्यादा है. ये बेहद डरावना है क्योंकि इससे वहां की धरती लगभग 10 फीट खिसक गई है.
10 फीट खिसकी धरती, दुनिया भर में चिंता बढ़ी
इटली के वैज्ञानिक डॉ कार्लो ने दावा किया है कि भूकंप की वजह से तुर्कीये की धरती 10 फीट यानी 3 मीटर खिसक गई है | इससे पहले जापान में 2011 में और 2022 में भारत के खिसकने की रिपोर्ट सामने आई है |
पूरी दुनिया बड़ी बड़ी टेक्टोनिक पेट पर स्थित है | इन्फ्लेट्स के नीचे पदार्थ लावा है, यह प्लेट लगातार तैरती रहती हैं | और कई बार आपस में टकरा जाती हैं जिसके कारण भूकंप आता है |
तुर्कीये का ज्यादातर हिस्सा एंटोलीयन प्लेट्स पर बसा है | ये प्लेट यूरोपियन, अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट के बीच फंसी हुई है | जब अफ्रीकन और अरेबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं तो तुर्कीये सैंडविच की तरह फस जाती हैं | इससे धरती के अंदर उर्जा उत्पन्न होती है और भूकंप आता है | तुर्की में आए भूकंप नॉर्थ एनाटोलियन फॉल्ट पर आया है |
इटली के वैज्ञानिक के मुताबिक एनाटोलियन टैकटोनिक प्लेट्स और अरेबियन प्लेट्स एक दूसरे से लगभग 225 मीटर दूर खिसक गई है | जिसकी वजह तुर्कीयेसे दूर किए अपने भौगोलिक जगह से 10 फिट दूर खिसक गया है |
कार्लो बताते हैं की भूकंप की वजह से तुर्कीये, सीरिया की तुलना में 5 से 6 मीटर यानी लगभग 20 फीट अंदर धंस गया है | हालांकि उन्होंने साफ कहा है कि यह शुरुआती डाटा से मिली जानकारी है | आने वाले समय में सैटेलाइट इमेज से मिली जानकारी से स्थिति साफ हो जाएगी |
टेक्टोनिक प्लेट में इस तारा का खिंचाव सड़कों इमारतों बोरिंग पानी या पेट्रोल लाइन की पाइपों को तोड़ सकता है| साथ ही साथ नदियों की दिशा भी बदल सकता है |
2011 में आए भूकंप ने जापान की धरती को खिसका दिया था. वहीं 19 मार्च 2011 में जब जापान में 9.1 की तीव्रता का अब तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप है | इस शक्तिशाली भूकंप ने ना सिर्फ जापान में लोगों की जान ली बल्कि धरती को 4 से 10 इंच तक खिसका दिया था |
2011 में जापान में एक भयानक तबाही देखने को मिली थी | इस भूकंप की वजह से धरती में रोजाना चक्कर लगाने की रफ्तार में बढ़ोतरी हुई थी | उस वक्त सेसोलास्टिक पाल अर्ले ने कहा था इस भूकंप से जापान के सबसे बड़े द्वीप होंशु को अपनी जगह से 8 फीट पूर्व की तरह खीसका दिया था |
इस दौरान 24 घंटे में लगभग 160 बार भूकंप के झटके आए थे | जापान में आए इस भूकंप और सुनामी से लगभग 15000 लोगों की जान गई थी |
भारत पर भी पड़ रहा है असर
साल 2022 में जब आस्ट्रेलिया के एक भू वैज्ञानिक ने धरती पर मौजूद सभी टेक्टोनिक प्लेट्स का नया नक्शा तैयार किया था | इसमें बताया गया था कि इंडियन प्लेट् और ऑस्ट्रेलियन प्लेट के बीच माइक्रोप्लेट को नक्शे में शामिल किया गया था | साथ ही कहा गया था कि भारत यूरोप की तरह खिसक रहा है | इससे भारत में भी चिंता बढ़ गई है.
वहीं 2015में आए नेपाल में भूकंप ने नेपाल की धरती को 10 फिट खीसका दिया | 2015 में आए भूकंप ने लाखों जाने ली थी, वही उसने हिमालय देशों के भूगोल को भी बदल दिया |भूकंप के बाद काठमांडू के नीचे की जमीन 10 फिट दक्षिण की ओर की खिसक गया |