‘वर्चुअल टच’ के बारे में ज़रूरी है बच्चों को सिखाना…जानिए किस तरह से है बच्चों को समझाना?
'वर्चुअल टच' के बारे में आज के डिजिटल युग में जानना बेहद जरूरी हो गया है. बच्चों को गुड टच, बैड टच के साथ साथ वर्चुअल टच के बारे में बताना और समझाना आज के समय की मांग है. आइए जानते हैं कि बच्चों को कैसे वर्चुअल टच के बारे में बच्चों को कैसे बताएं?
नई दिल्ली. आज कल की दुनिया तकनीकि की दुनिया है. डिजिटिलाइजेश का जमाना है. हर चीज ऑनलाइन उपलब्ध है. तकनीकि से बेशक बहुत तरक्की आई हो लेकिन इसके फायदे के साथ साथ नुकसान भी है. हमें अपने बच्चों को इसी नुकसान से बचाना है. इसके लिए बच्चों को वर्चुअल टच के बारे में बताना और समझाना जरूरी है.
क्या होता है वर्चुअल टच?
‘वर्चुअल टच’ का अर्थ होता है कि कोई अनजान व्यक्ति इंटरनेट, स्मार्टफोन, सोशल मीडिया के जरिए बच्चों से कनेक्ट होता है और वे बच्चों को उनके फेवरेट चीजों का लालच देकर बच्चों को अपनी ओर अट्रैक्ट करने की कोशिश करते हैं. फिर वे बच्चों का विश्वास जीतकर वे उनका उत्पीड़न करते है.
इसलिए बच्चों को रील औ रियल लाइफ के अंतर को समझाना ज़रूरी है. सोशल मीडिया में बच्चे क्या कर रहे हैं, किससे चैट कर रहे हैं, इन सब पर नज़र रखना ज़रूरी है. दरअसल आभासी दुनिया यानि वर्चुअल वर्ल्ड के ज़रिए आज के लोग एक दूसरे से कनेक्ट होते हैं. समाजिक संपर्क के दायरे समय के साथ बदल रहे हैं. इसलिए बच्चों को गुड टच, बैड टच के साथ ही वर्चुअल टच के बारे में बताना ज़रूरी हो जाता है.
वर्चुअल टच के बारे में बच्चों को कैसे समझाएं
बच्चों को सबसे पहले ऑनलाइन दुनिया के पाजिटिव और निगेटिव इंम्पैक्ट के बारे में बताएं. फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे कई सोशल मीडिया के जरिए होने वाले गलत व्यवहार के बारे में समझाएं
वर्चुअल टच के जरिए गलत, अनैतिक और हिंसक व्यवहार के संकेतों को पहचानना चाहिए और बच्चों को उसके बारे में बताना चाहिए कि अनजान व्यक्ति से चैटिंग न करें. इसके लिए पैरेंट्स प्राइवेसी सेटिंग्स में बदलाव भी कर सकते हैं.
वर्चुअल टच के बारे में अवेयर करने से बच्चे टेक्नोलॉजी और इंटरनेट के प्रयोग से होने वाले मेंटल और इमोशनल नुकसान से बचाना है. वर्चुअल टच में इंसान सामने नहीं होता ऐसे में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. बच्चों को वर्चुअली एक्टिव रखने के बजाय रियल में अपने रिलेटिब्स के साथ, फ्रेंड्स के साथ एक्टिव रखने को कहें.