श्रद्धा मर्डर केस: इन जरूरी बातों का रखेंगे ध्यान…तो टॉक्सिक रिलेशनशिप में नहीं जाएगी जान.. !!
जहां तक हो सके रिश्ते को सुधारने की कोशिश करना चाहिए फिर भी अगर आपके साथ हिंसा होती है, तो केंद्रीय महिला आयोग के अलावा आप अपने राज्य के स्टेट वीमेन कमीशन से भी संपर्क कर सकती हैं. आइए जानते हैं कि किन हेल्पलाइन नंबर्स पर मदद लेनी चाहिए?
टॉक्सिक रिलेशनशिप का मतलब होता है एक ऐसा रिश्ता जिससे आपको मानसिक तौर पर पीड़ा और शारीरिक तौर पर हिंसा मिलती है. इस रिश्ते में एक साथी अपने दूसरे साथी को हर तरह से कंट्रोल करना चाहता है. इसके कारण वह अपने पार्टनर के साथ अनैतिक और हिंसक बर्ताव करने लगता है.
टॉक्सिक रिलेशनशिप के लक्षण-
पहले प्यार, फिर तकरार यानि रिलेशनशिप की शुरूआत में तो बेइंतहा प्यार दिखाया जाता है फिर कुछ समय बाद अपने साथी की छोटीृ-छोटी बातों से परेशानी होता है. उसके कपड़ों, उसके दोस्त, उसके कलीग्स जैसे किसी भी बात पर पहले बहस, फिर मारपीट होने लगती है और इस तरह से टॉक्सिक रिलेशनशिप बनने लगता है. रिलेशनशिप काउंसलर्स के अनुसार टॉक्सिक रिलेशनशिप के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं-
- अपने पार्टनर की हर एक्टिविटी से जलन होने लगती है.
- ग़लतफहमियां होना, टेंशन लेना और फिर डिप्रेशन में चले जाना
- जरा जरा सी बातों पर गुस्सा करना
- गुस्से में घर के सामानों को तोड़ना-फो़ड़ना
- हर अधूरे काम के लिए अपने साथी को ज़िम्मेदार ठहराना
- अपनी जिम्मेदारी को नहीं समझना
- साथी पर भरोसा नहीं करना, उसको सम्मान नहीं देना
- आपसी बातचीत में बहस या विवाद करना
- रिश्ते को खत्म करने के बारे में सोचना
- अपने साथी से सलाह-मशविरा नहीं करना, उसकी राय को नज़रअंदाज़ करना
- आत्मसम्मान खो देना, स्वाभिमान का खत्म हो जाना
अगर आपको भी अपने रिश्ते में इस तरह के लक्षण दिखते हैं तो सावधान होने की ज़रूरत है नहीं तो आप डिप्रेशन में जा सकते हैं, आपका ही साथी आपकी जान भी ले सकता हे जैसा कि श्रद्धा की जान आफताब ने ले ली
टॉक्सिक रिलेशनशिप से कैसे बाहर निकलें
टॉक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलने के आप उपर दिए गए लक्षणों को पहचानिए। अगर आपका साथी आप पर शक करता है, आप पर गुस्सा करता है, आप पर शक करता है, आपको कंट्रोल करने की कोशिश करता है, आपसे झूठ बोलता है, आपको आपके अपनों से दूर करता है, आपको लेकर ओवर पजेसिव व्यवहार करता है तो इसका मतलब है कि आप एक टॉक्सिक रिलेशनशिप में हैं. इससे
सबसे पहले तो एक सीमा तक ही अपने साथी की हरकतों को बर्दाश्त करें. अपने आप को बहुत ज्यादा दिलासा न दिलाएं कि आपके साथी का व्यवहार एक न एक दिन ठीक हो जाएगा.
रिश्ते में मानसिक तनाव या शारीरिक हिंसा को बर्दाश्त करने के बजाय, आप अपने करीबी किसी रिश्तेदार, दोस्त या कलीग या फिर रिलेशनशिप काउंसलर से बात करें जिस पर आप भरोसा करते हों. इससे या तो आपका रिश्ता सुधर जाएगा या फिर इनकी मदद से आप इस रिश्ते से बाहर आ जाएंगी.
अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान से समझौता न करें. अपने माता-पिता और शिक्षक से संपर्क में रहें, उनसे सलाह मशविरा करें. उन्होंने आपसे ज्यादा दुनिया देखी है तो वे आपको सही सलाह दे सकते हैं.
इसके अलावा आप हेल्पलाइन नंबर्स पर कॉल करके काउंसलर्स से बात कर सकते हैं. अत्यधिक खराब बर्ताव या हिंसा होने पर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा सकती हैं.
इन हेल्पलाइन नंबर्स पर करें फोन
राष्ट्रीय महिला आयोग की हेल्पलाइन पर मुसीबत में फंसी महिलाएं मदद के लिए संपर्क कर सकती हैं- ये नंबर है 7827170170. इसके अलावा फोन नंबर 1091 पर भी संपर्क कर सकती हैं. इसमें आपको पूरी हेल्प मिलती है.
वहीं घरेलू हिंसा चाहे वह सास, ससुर, ननद, पति, या ससुराल को कोई भी व्यक्ति करे या फिर लिव-इन पार्टनर गलत व्यवहार या मारपीट करे तो फोन नंबर 181 पर संपर्क करें.